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सोमवार, 30 अगस्त 2021

आरम्भ ( आज का प्रेरक प्रसंग)



*🔹 आज का प्रेरक प्रसंग 🔹*


                   *!! आरम्भ !!*

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एक राजा था जिसका नाम रामधन था उनके जीवन में सभी सुख थे | राज्य का काम काज भी ऐशो आराम से चल रहे था | राजा के नैतिक गुणों के कारण प्रजा भी बहुत प्रसन्न थी | और जिस राज्य में प्रजा खुश रहती हैं वहाँ की आर्थिक व्यवस्था भी दुरुस्त होती हैं इस प्रकार हर क्षेत्र में राज्य का प्रवाह अच्छा था |


इतने सुखों के बाद भी राजा दुखी था क्यूंकि उसकी कोई संतान नहीं थी यह गम राजा को अंदर ही अंदर सताता रहता था | प्रजा को भी इस बात का बहुत दुःख था | वर्षों के बाद राजा की यह मुराद पूरी हुई और उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई | पुरे नगर में कई दिनों तक जश्न मना | नागरिकों को राज महल में दावत दी गई | राजा की इस ख़ुशी में प्रजा भी झूम रही थी |


समय बितता जा रहा था राज कुमार का नाम नंदन सिंह रखा गया | पूजा पाठ एवं इन्तजार के बाद राजा को सन्तान प्राप्त हुई थी इसलिये उसे बड़े लाड़ प्यार से रखा जाता था लेकिन अति किसी बात की अच्छी नहीं होती अधिक लाड़ ने नंदन सिंह को बहुत बिगाड़ दिया था | बचपन में तो नंदन की सभी बाते दिल को लुभाती थी पर बड़े होते होते यही बाते बत्तमीजी लगने लगती हैं | नंदन बहुत ज्यादा जिद्दी हो गया था उसके मन में अहंकार आ गया था वो चाहता था कि प्रजा सदैव उसकी जय जयकार करे उसकी प्रशंसा करें | उसकी बात ना सुनने पर वो कोलाहल मचा देता था | बैचारे सैनिको को तो वो पैर की जुती ही समझता था | आये दिन उसका प्रकोप प्रजा पर उतरने लगा था | वो खुद को भगवान के समान पूजता देखना चाहता था | आयु तो बहुत कम थी लेकिन अहम् कई गुना बढ़ चूका था |


नन्दन के इस व्यवहार से सभी बहुत दुखी थे | प्रजा आये दिन दरबार में नन्दन की शिकायत लेकर आती थी जिसके कारण राजा का सिर लज्जा से झुक जाता था | यह एक गंभीर विषय बन चूका था |


एक दिन राजा ने सभी खास दरबारियों एवम मंत्रियों की सभा बुलवाई और उनसे अपने दिल की बात कही कि वे राज कुमार के इस व्यवहार से अत्यंत दुखी हैं , राज कुमार इस राज्य का भविष्य हैं अगर उनका व्यवहार यही रहा तो राज्य की खुशहाली चंद दिनों में ही जाती रहेगी | दरबारी राजा को सांत्वना देते हैं और कहते हैं कि आप हिम्मत रखे वरना प्रजा निसहाय हो जायेगी | मंत्री ने सुझाव दिया कि राजकुमार को एक उचित मार्गदर्शन एवम सामान्य जीवन के अनुभव की जरुरत हैं | आप उन्हें गुरु राधागुप्त के आश्रम भेज दीजिये सुना हैं,वहाँ से जानवर भी इंसान बनकर निकलता हैं | यह बात राजा को पसंद आई और उसने नन्दन को गुरु जी के आश्रम भेजा |


अगले दिन राजा अपने पुत्र के साथ गुरु जी के आश्रम पहुँचे | राजा ने गुरु राधा गुप्त के साथ अकेले में बात की और नन्दन के विषय में सारी बाते कही | गुरु जी ने राजा को आश्वस्त किया कि वे जब अपने पुत्र से मिलेंगे तब उन्हें गर्व महसूस होगा | गुरु जी के ऐसे शब्द सुनकर राजा को शांति महसूस हुई और वे सहर्ष अपने पुत्र को आश्रम में छोड़ कर राज महल लौट गये |


अगले दिन सुबह गुरु के खास चेले द्वारा नंदन को भिक्षा मांग कर खाने को कहा गया जिसे सुनकर नंदन ने साफ़ इनकार कर दिया | चेले ने उसे कह दिया कि अगर पेट भरना हैं तो भिक्षा मांगनी होगी और भिक्षा का समय शाम तक ही हैं अन्यथा भूखा रहना पड़ेगा | नंदन ने अपनी अकड़ में चेले की बात नहीं मानी और शाम होते होते उसे भूख लगने लगी लेकिन उसे खाने को नहीं मिला | दुसरे दिन उसने भिक्षा मांगना शुरू किया | शुरुवात में उसके बोल के कारण उसे कोई भिक्षा नहीं देता था लेकिन गुरुकुल में सभी के साथ बैठने पर उसे आधा पेट भोजन मिल जाता था | धीरे-धीरे उसे मीठे बोल का महत्व समझ आने लगा और करीब एक महीने बाद नंदन को भर पेट भोजन मिला जिसके बाद उसके व्यवहार में बहुत से परिवर्तन आये |


इसी तरह गुरुकुल के सभी नियमों ने राजकुमार में बहुत से परिवर्तन किये जिसे राधा गुप्त जी भी समझ रहे थे एक दिन राधा गुप्त जी ने नंदन को अपने साथ सुबह सवेरे सैर पर चलने कहा |दोनों सैर पर निकल गये रास्ते भर बहुत बाते की | गुरु जी ने नंदन से कहा कि तुम बहुत बुद्धिमान हो और तुममे बहुत अधिक उर्जा हैं जिसका तुम्हे सही दिशा मे उपयोग करना आना चाहिये | दोनों चलते-चलते एक सुंदर बाग़ में पहुँच गये | जहाँ बहुत सुंदर-सुंदर फूल थे जिनसे बाग़ महक रहा था | गुरु जी ने नंदन को बाग़ से पूजा के लिये गुलाब के फुल तोड़ने कहा | नंदन झट से सुंदर-सुंदर गुलाब तोड़ लाया और अपने गुरु के सामने रख दिये | अब गुरु जी ने उसे नीम के पत्ते तोड़कर लाने कहा | नंदन वो भी ले आया | अब गुरु जी ने उसे एक गुलाब सूंघने दिया और कहा बताओ कैसा लगता हैं नंदन ने गुलाब सुंघा और गुलाब की बहुत तारीफ की | फिर गुरु जी उसे नीम के पत्ते चखकर उसके बारे में कहने को कहा | जैसे ही नंदन ने नीम के पत्ते खाये उसका मुंह कड़वा हो गया और उसने उसकी बहुत निंदा की | और जतर क़तर पीने का पानी ढूंढने लगा |


नन्दन की यह दशा देख गुरु जी मुस्कुरा रहे थे | पानी पिने के बाद नंदन को राहत मिली फिर उसने गुरु जी से हँसने का कारण पूछा | तब गुरु जी ने उससे कहा कि जब तुमने गुलाब का फुल सुंघा तो तुम्हे उसकी खुशबू बहुत अच्छी लगी और तुमने उसकी तारीफ की लेकिन जब तुमने नीम की पत्तियाँ खाई तो तुम्हे वो कड़वी लगी और तुमने उसे थूक दिया और उसकी निंदा भी की | गुरु जी से नन्दन को समझाया जिस प्रकार तुम्हे जो अच्छा लगता हैं तुम उसकी तारीफ करते हो उसी प्रकार प्रजा भी जिसमे गुण होते हैं उसकी प्रशंसा करती हैं अगर तुम उनके साथ दुर्व्यवहार करोगे और उनसे प्रशंसा की उम्मीद करोगे तो वे यह कभी दिल से नही कर पायेंगे | इस प्रकार जहाँ गुण होते हैं वहाँ प्रशंसा होती हैं |


नंदन को सभी बातें विस्तार से समझ आ जाती हैं और वो अपने महल लौट जाता हैं | नंदन में बहुत परिवर्तन आता हैं और वो बाद में एक सफल राजा बनता हैं |


*शिक्षा:-*

गुरु की सीख ने नंदन का जीवन ही बदल दिया, वो एक क्रूर राज कुमार से एक न्याय प्रिय दयालु राजा बन गया |इस प्रसंग से हमें यही शिक्षा मिलती हैं कि हममें गुण होंगे तो लोग हमें हमेशा पसंद करेंगे लेकिन अगर हम अवगुणी हैं तो हमें प्रशंसा कभी नहीं मिल सकती |


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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शनिवार, 26 जून 2021

चतुर किसान

 

English 


smart farmer


Once a farmer was standing on the bank of a river with a goat, a bunch of grass and a lion. He had to cross the river by boat but the boat was too small that he could not cross at once with all his belongings. If he takes the lion first and leaves him across the river, here the goat will eat the grass and if he takes the grass across the river first, the lion will eat the goat.


Finally he found a solution. He first took the goat along and left it across the river in a boat. After this, in the second round, he left the lion across the river but while returning he brought the goat back with him.


This time he left the goat on this side and left the herd of grass to the lion on the other side. After this he again brought the boat and took the goat as well.


Thus, he crossed the river and did not suffer any loss.


Hindi



चतुर किसान


एक बार एक किसान एक बकरी, घास का एक गट्टर और एक शेर को लिए नदी के किनारे खड़ा था। उसे नाव से नदी पार करनी थी लेकिन नाव बहुत छोटी थी कि वह सारे सामान समेत एक बार में पार नहीं जा सकता था। वह अगर शेर को पहले ले जाकर नदी पार छोड़ आता है तो इधर बकरी घास खा जाएगी और अगर घास को पहले नदी पार ले जाता है तो शेर बकरी को खा जाएगा।

अंत में उसे एक समाधान सूझ गया। उसने पहले बकरी को साथ में लिया और नाव में बैठकर नदी के पार छोड़ आया। इसके बाद दूसरे चक्कर में उसने शेर को नदी पार छोड़ दिया लेकिन लौटते समय बकरी को फिर से साथ ले आया।

इस बार वह बकरी को इसी तरफ छोड़कर घास के गडर को दूसरी ओर शेर के पास छोड़ आया। इसके बाद वह फिर से नाव लेकर आया और बकरी को भी ले गया।

इस प्रकार, उसने नदी पार कर ली और उसे कोई हानि भी नहीं हुई।

प्रेरक प्रसंग

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*🌼🌼प्रेरक प्रसंग🌼🌼* 


 🎗️🌺!! *नजरिया अपना-अपना* !!🌺🎗️


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*मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे, तभी पीछे से दो बच्चों के आपस में झगड़ा करने की आवाज़ आने लगी। “क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे  हो ?” मास्टर जी ने पूछा। राहुल : सर, अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरी सुनने को तैयार ही नहीं है। अमित : नहीं सर, राहुल जो कह रहा है वह बिलकुल गलत है इसलिए उसकी बात सुनने से कोई फायदा नही। और ऐसा कह कर वे फिर तू-तू मैं-मैं करने लगे। मास्टर जी ने पास आने का इशारा कहा,”तुम दोनों यहाँ मेरे पास आओ।”*


*अगले ही पल दोनो परस्पर व्यंगात्मक भाव लिए मास्टर जी की टेबल पर पँहुच गए। मास्टर जी ने दोनों छात्रों को अपनी टेबल के दाएं बाएं बैठने को कहा। अब शेष छात्रों को सम्बोधित करते हुए बोले, ”Fingure On The Lips. सभी छात्र पूर्ण शान्ति से बैठे रहें।” कक्षा में पूर्ण सन्नाटा छा गया सभी छात्रों की कौतुक नजरें मास्टर जी की तरफ। “जब तक ये दोनों छात्र यँहा मेरे पास हैं तब तक आप में से कोई छात्र कुछ नहीं बोलेगा।”मास्टर जी ने एक बार पुनः अपना आदेश दोहराया।*


*अब मास्टर जी ने कवर्ड से एक बड़ी सी गेंद निकाली और अपनी टेबल  के बीचो-बीच रख दी। मास्टर जी ने अपनी दायीं ओर बैठे राहुल से पूछा, “बताओ,यह गेंद किस रंग की है। राहुल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,” जी यह सफ़ेद रंग की है।” मास्टर जी ने वही प्रश्न बाएं ओर के अमित से भी पूछा,”तुम बताओ यह गेंद किस रंग की है? अमित पूर्ण विश्वास के साथ बोला,”जी काली है।” दोनों छात्र  अपने जवाब को लेकर पूरी तरह कॉंफिडेंट थे। अब फिर दोनों ने गेंद के रंग को लेकर  बहस शुरू कर दी।*


*मास्टर जी ने उन्हें शांत कराते हुए कहा,”अब तुम दोनों अपना अपना स्थान बदल लो और फिर बताओ की गेंद किस रंग की है ?” कक्षा के शेष छात्र कौतुक दृष्टि से तमाशा देख रहे थे। अमित अब दायीं ओर जबकि राहुल बाईं ओर आ गया था। इस बार उनके जवाब भी बदल चुके थे।राहुल ने गेंद का रंग काला तो अमित ने सफ़ेद बताया। मास्टर जी ने दोनों को अपनी अपनी सीट पर भेज कर गंभीर स्वर में कहा ,” बच्चों! यह गेंद दो रंगो से बनी है और जिस तरह यह एक जगह से देखने पर काली और दूसरी जगह से देखने पर सफ़ेद दिखाई देती है।*


*उसी प्रकार हमारे जीवन में भी हर एक चीज को अलग अलग दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। ज़रूरी नहीं कि  जिस तरह से आप किसी चीज को देखते हैं उसी तरह दूसरा भी उसे देखे..इसलिए*

 *यदि कभी हमारे बीच विचारों को लेकर मतभेद हो तो यह ना सोचें कि सामने वाला बिलकुल गलत है बल्कि चीजों को उसके नज़रिये से देखने और उसे अपना नजरिया समझाने का प्रयास करें। तभी आप एक अर्थपूर्ण संवाद कर सकते हैं।”*

*सभी छात्रों ने करतल ध्वनि से मास्टर जी की बात का समर्थन किया।*


*शिक्षा* :-

 *आईये उक्त कथा से सीख लेते हुए हम भी एक दूसरे के नज़रिए को समझ कर अपने बीच उपजी संवादहीनता को दूर करने का प्रयास करें क्योंकि संवाद ही एकमात्र वह प्रक्रिया है जो हमारी गलतवहमी को दूर कर आपसी रिश्तों को मजबूत बनाती है।*

💫 प्रेरक प्रसंग 💫


*💫  प्रेरक प्रसंग 💫*


             *!! चोर बना महात्मा !!*

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एक बार एक चोर जब मरने लगा तो उसने अपने बेटे को बुलाकर एक नसीहत दी:-” अगर तुझे चोरी करनी है तो किसी गुरुद्वारा, धर्मशाला या किसी धार्मिक स्थान में मत जाना बल्कि इनसे दूर ही रहना और दूसरी बात अगर कभी पकड़े जाओ, तो यह मत स्वीकार करना कि तुमने चोरी की है, चाहे कितनी भी सख्त मार पड़े|”


चोर के लड़के ने कहा:- “सत्य वचन”| इतना कहकर वह चोर मर गया और उसका लड़का रोज रात को चोरी करता रहा|


एक बार उस लड़के ने चोरी करने के लिए किसी घर के ताले तोड़े, लेकिन घर वाले जाग गए और उन्होंने शोर मचा दिया| आगे पहरेदार खड़े थे| उन्होंने कहा:- “आने दो, बच कर कहां जाएगा”? एक तरफ घरवाले खड़े थे और दूसरी तरफ पहरेदार|


अब चोर जाए भी तो किधर जाए| वह किसी तरह बच कर वहां से निकल गया| रास्ते में एक धर्मशाला पड़ती थी| धर्मशाला को देखकर उसको अपने बाप की सलाह याद आ गई कि धर्मशाला में नहीं जाना| लेकिन वह अब करे भी तो क्या करे ? उसने यह सही मौका देख कर वह धर्मशाला में चला गया| जहाँ सत्संग हो रहा था। 


वह बाप का आज्ञाकारी बेटा था, इसलिए उसने अपने कानों में उंगली डाल ली जिससे सत्संग के वचन उसके कानों में ना पड़ जाए| लेकिन आखिरकार मन अडियल घोड़ा होता है, इसे जिधर से मोड़ो यह उधर नही जाता है| कानों को बंद कर लेने के बाद भी चोर के कानों में यह वचन पड़ गए कि देवी देवताओं की परछाई नहीं होती| उस चोर ने सोचा की परछाई हो या ना हो इस से मुझे क्या लेना देना|


घर वाले और पहरेदार पीछे लगे हुए थे| किसी ने बताया कि चोर, धर्मशाला में है| जांच पड़ताल होने पर वह चोर पकड़ा गया| 


पुलिस ने चोर को बहुत मारा लेकिन उसने अपना अपराध कबूल नहीं किया| उस समय यह नियम था कि जब तक मुजरिम, अपराध ने स्वीकार कर ले तो सजा नहीं दी जा सकती|


उसे राजा के सामने पेश किया गया वहां भी खूब मार पड़ी, लेकिन चोर ने वहां भी अपना अपराध नहीं माना| वह चोर देवी की पूजा करता था। इसलिए पुलिस ने एक ठगिनी को सहायता के लिए बुलाया| ठगिनी ने कहा कि मैं इसको मना लूंगी| उसने देवी का रूप भर कर दो नकली बांहें लगाई, चारों हाथों में चार मशाल जलाई और नकली शेर की सवारी की|


क्योंकि वह पुलिस के साथ मिली हुई थी इसलिए जब वह आई तो उसके कहने पर जेल के दरवाजे कड़क कड़क कर खुल गए| जब कोई आदमी किसी मुसीबत में फंस जाता है तो अक्सर अपने इष्ट देव को याद करता है| इसलिए चोर भी देवी की याद में बैठा हुआ था कि अचानक दरवाजा खुल गया और अंधेरे कमरे में एकदम रोशनी हो गई|


देवी ने खास अंदाज में कहा:-” देख भक्त! तूने मुझे याद किया और मैं आ गई| तूने बड़ा अच्छा किया कि तुमने अपना अपराध स्वीकार नहीं किया| अगर तू ने चोरी की है तो मुझे सच-सच बता दे| मुझसे कुछ भी मत छुपाना| मैं तुम्हें फौरन आजाद करवा दूंगी|”


चोर, देवी का भक्त था| अपने इष्ट को सामने खड़ा देखकर बहुत खुश हुआ और मन में सोचने लगा कि मैं देवी को सब सच सच बता दूंगा| वह बताने को तैयार ही हुआ था कि उसकी नजर देवी की परछाई पर पड़ गई| उसको फौरन सत्संग का वचन याद आ गया कि देवी देवताओं की परछाई नहीं होती| उसने देखा कि इसकी तो परछाई है वह समझ गया कि यह देवी नहीं बल्कि मेरे साथ कोई धोखा है|


वह सच कहते कहते रुक गया और बोला:-“ मां! मैंने चोरी नहीं की| अगर मैंने चोरी की होती तो क्या आपको पता नहीं होता| जेल के कमरे के बाहर बैठे हुए पहरेदार चोर और ठगनी की बातचीत नोट कर रहे थे| उनको और ठगिनी को विश्वास हो गया कि यह चोर नहीं है|


अगले दिन उन्होंने राजा से कह दिया कि यह चोर नहीं है| राजा ने उस को आजाद कर दिया| जब चोर आजाद हो गया तो सोचने लगा कि सत्संग का एक वचन सुनकर मैं जेल से छूट गया हूं| अगर मैं अपनी सारी जिंदगी सत्संग सुनने में लगाऊं तो मेरा तो जीवन ही बदल जाएगा| अब वह प्रतिदिन सत्संग में जाने लगा और चोरी का धंधा छोड़ कर महात्मा बन गया|


*शिक्षा:-*

कलयुग में सत्संग ही सबसे बड़ा तीर्थ है।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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*घर में इन गलतियों की वजह से होती है धन- हानि, नहीं रुकता है पैसा..!

 *घर में इन गलतियों की वजह से होती है धन- हानि, नहीं रुकता है पैसा..!!*

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✍धन की आवश्यकता हर किसी को होती है, धन कमाने के लिए हर कोई कड़ी से कड़ी मेहनत करता है, लेकिन कई बार मेहनत करने के बाद भी धन की प्राप्ति नहीं होती है ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में कुछ गलतियों की वजह से भी धन की हानि होती है और घर का माहौल खराब होने लगता है, इन गलतियों की वजह से घर में नकारात्मकता का वास हो जाता है, जिस वजह से तरक्की में रुकावट आ जाती है, आइए जानते हैं घर में किन गलतियों की वजह से धन- हानि होती है.....


*घर में बंद पड़ी घड़ी की वजह से:-* 

वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में बंद घड़ी की वजह से नकारात्मकता आती है। घर में बंद पड़ी घड़ी नहीं रखनी चाहिए। अगर आपके घर में भी बंद पड़ी घड़ी है तो उसे तुरंत ठीक करवा लें या घर से बाहर कर दें।


*घर में सूखे पौधे होने की वजह से:-* 

वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में सूखे पौधे नहीं रखने चाहिए। सूखे पौधों की वजह से घर का वातावरण खराब होता है। घर में पौधे रखें लेकिन उन्हें सूखने न दें। उनकी अच्छी तरह से देखभाल करें।


*घर में पानी की बर्बाद न होने दें:-* 

कई घरों में अनावश्यक रूप से पानी की बर्बादी होती रहती है, जैसे- नल से लगातार पानी का टपकना, अगर आपके घर में भी ऐसा होता है तो वास्तुशास्त्र के अनुसार इसे अशुभ माना जाता है, नल को ठीक करवा लें। जिस घर में ऐसा होता है वहां धन- हानि होने की संभावना होती है।


*घर में साफ- सफाई का ध्यान रखें:-* 

वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में साफ- सफाई न रखने की वजह से भी धन- हानि होती है, घर में साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी मां लक्ष्मी का वास उसी घर में होता है जहां साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।


*जिस घर में पूजा नहीं होती है:-* 

वास्तुशास्त्र के अनुसार जिस घर में पूजा- अर्चना नहीं होती है वहां पर नकारात्मकता का वास हो जाता है, घर में पूजा-अर्चना करनी चाहिए। 

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शुक्रवार, 25 जून 2021

*🌼🌼प्रेरक प्रसङ्ग🌼🌼* *🎗️🌺!! एक रुपये का सिक्का !!🌺🎗️*

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*🌼🌼प्रेरक प्रसङ्ग🌼🌼*


*🎗️🌺!! एक रुपये का सिक्का !!🌺🎗️*


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*एक ब्राह्मण व्यक्ति सुबह उठकर मंदिर की ओर जा रहा था। वहां उसे रास्ते में ₹1 का सिक्का मिलता है। वह ब्राह्मण के मन में विचार आता है कि यह ₹1 रुपये में किसी दरिद्र को दे देता हु। वह पूरे नगर में ढूंढता है उसे कोई दरिद्र और भिखारी नहीं मिलता है। हर रोज की तरह सुबह ब्राह्मण मंदिर की ओर प्रस्थान करते है। वहां उसे एक राजा दिखाई देता है वह बहुत बड़ी सेना लेकर दुसरे नगर में जाता रहता है। राजा जैसे ब्राह्मण व्यक्ति को देखता है उसे प्रमाण करता है और कहता है की महात्मा मैं युद्ध करने जा रहा हूं, आप मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं दूसरे नगर के राज्यों को भी जीत सकूं।*


*यह सुनते ही ब्राह्मण व्यक्ति ₹1 का सिक्का राजा के हाथ में थमा देता है। राजा आश्चर्यचकित हो जाता और पूछता है कि आपने यह ₹1 का सिक्का मेरे हाथ में क्यों थमाया ? ब्राह्मण व्यक्ति उत्तर देते हुए कहते हैं कि, मैं कई दिनों से कोई दरिद्र व्यक्ति ढूंढ रहा हूं जिसे ₹1रुपय दे सकूं। पूरे नगर में ऐसा कोई दरिद्र और भिखारी व्यक्ति नहीं मिला जिसे में एक रुपये दे सकता हूं। सिर्फ और सिर्फ आप ही मुझे ऐसे दरिद्र व्यक्ति मिले जिनके पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है जिसकी अपेक्षा हमेशा अधिक से अधिक पाने की रहती है। इसलिए मैं यहां ₹1 का सिक्का आपको देना चाहता हूं क्योंकि जो दरिद्र व्यक्ति की तलाश में था वह साक्षत मेरे सामने खड़ा है। यह सुनकर राजा का मस्तिष्क शर्म से झुक जाता है और वह अपनी सेना को वापस जाने का आदेश देता है।*


*निष्कर्ष :-*

*इस प्रसंग से सिख मिलती है की इंसान को कुछ पाने की जिद होनी चाहिए वह बहुत अच्छी बात है। पर आज कल व्यक्ति की इतनी तीव्र इच्छा होने के कारण मन में विचार आता है तेरे जेब का पैसा मेरे जेब में कैसा ऐसे स्वार्थी सोच में रहता है ! यह बिलकुल भी अच्छी बात नहीं है। फलस्वरूप : उसे सब कुछ मिलने के बाद भी वह दुखी रहता है क्योंकि उसकी इच्छा कभी खत्म नहीं होती।*


*😍😍सदैव प्रसन्न रहे😍😍*

*👍👍जो प्राप्त है, पर्याप्त है👍👍*


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प्रेरणा

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*❇️प्रेरणा❇️*


*जब हमारी सोच, बोल और कर्म में समानता और सकारात्मकता आ जाती है तो खुशी हमें स्वतः ही प्राप्त होती है।*


👉 *आज से हम* *अपने सोच, बोल और कर्म में समानता और सकारात्मकता लाएँ...*


*🔷 INSPIRATION 🔶*


*Happiness is when, what you think, what you say, and what you do are in harmony and positive!*


👉 *TODAY ONWARDS LET'S* *make harmony and positivity among our thoughts, words and actions...*


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प्रेरक प्रसंग



*💫प्रेरक प्रसंग 💫*

            *!! सुंदरता !!*

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एक सभा में गुरु जी ने प्रवचन के दौरान एक 30 वर्षीय युवक को खड़ा कर पूछा कि- आप मुम्बई में जुहू चौपाटी पर चल रहे हैं और सामने से एक सुन्दर लड़की आ रही है तो आप क्या करोगे?


युवक ने कहा- उस पर नजर जायेगी, उसे देखने लगेंगे। गुरु जी ने पूछा- वह लड़की आगे बढ़ गयी तो क्या पीछे मुड़कर भी देखोगे ? लडके ने कहा - हाँ, अगर धर्मपत्नी साथ नहीं है तो। (सभा में सभी हँस पड़े)


गुरु जी ने फिर पूछा- जरा यह बताओ वह सुन्दर चेहरा आपको कब तक याद रहेगा ? युवक ने कहा 5 - 10 मिनट तक, जब तक कोई दूसरा सुन्दर चेहरा सामने न आ जाए। गुरु जी ने उस युवक से कहा - अब जरा सोचिए,

आप जयपुर से मुम्बई जा रहे हैं और मैंने आपको एक पुस्तकों का पैकेट देते हुए कहा कि मुम्बई में अमुक महानुभाव के यहाँ यह पैकेट पहुँचा देना। आप पैकेट देने मुम्बई में उनके घर गए। उनका घर देखा तो आपको पता चला कि ये तो बडे अरबपति हैं। घर के बाहर 10 गाडियाँ और 5 चौकीदार खडे हैं। आपने पैकेट की सूचना अन्दर भिजवाई तो वे महानुभाव खुद बाहर आए। आप से पैकेट लिया। आप जाने लगे तो आपको आग्रह करके घर में ले गए। पास में बैठकर गरम खाना खिलाया। जाते समय आप से पूछा - किसमें आए हो ? आपने कहा- लोकल ट्रेन में। उन्होंने ड्राइवर को बोलकर आपको गंतव्य तक पहुँचाने के लिए कहा और आप जैसे ही अपने स्थान पर पहुँचने वाले थे कि उस अरबपति महानुभाव का फोन आया - भैया, आप आराम से पहुँच गए।


अब आप बताइए कि आपको वे महानुभाव कब तक याद रहेंगे ?

युवक ने कहा - गुरु जी ! जिंदगी में मरते दम तक उस व्यक्ति को हम भूल नहीं सकते। गुरु जी ने युवक के माध्यम से सभा को संबोधित करते हुए कहा "यह है जीवन की हकीकत।"


*शिक्षा:-*

*"सुन्दर चेहरा थोड़े समय ही याद रहता है, पर हमारा सुन्दर व्यवहार जीवन भर याद रहता है।"*


बस यही है जीवन का गुरु मंत्र, अपने चेहरे और शरीर की सुंदरता से ज़्यादा अपने व्यवहार की सुंदरता पर ध्यान दें, जीवन आनंददायक बन जाएगा..!!

 

*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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गुरुवार, 24 जून 2021

प्रेरक प्रसङ्ग

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*🌷🌷😊😊🌷🌷*


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 *🎗️✨!! कभी-कभी सोचने से !!✨🎗️*

*🌺🎍!! भी जबाव मिल जाता हैं !!🎍🌺*


*✨"ज्यादा सोचने वाले लोगों के लिए रोचक कहानी"🌴*


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*एक गांव में एक आदमी रहता था, जो ताले तोड़ने के मामले में एक्सपर्ट था, यानी कि जहां कहीं भी ताले तोड़ने की बात आती थी या लॉक को खोलने की बात आती थी, तो उसका नाम सबसे पहले लिया जाता था। एक दिन कुछ समझदार लोगों ने उसकी परीक्षा लेनी चाही और उसको बता दिया गया कि आपको इस जगह पर इस तारीख को आना है और ताले को तोड़ना है। जब वह समय के अनुसार तय दिनांक को वहां पहुंच गया, तो उसको प्रतियोगिता के नियम समझा दिए गए।*


*आपको एक बॉक्स में बिठा दिया जाएगा और उस बॉक्स को पानी में उतार दिया जाएगा। आपको ताला खोल कर बाहर आना होगा इस बीच अगर आपको लगता है कि Lock मेरे से नहीं खुल पाएगा तो, आप इमरजेंसी बटन को दबा सकते हैं और ऊपर आ सकते हैं, लेकिन इस कंडीशन में आप प्रतियोगिता में हार जाएंगे, उसने सभी नियमों की हां कर दी और पानी में चला गया। जैसे ही वह पानी में पहुंचा तो उसने जेब में से एक तार निकाला और Lock को खोलने की कोशिश करने लगा।*


*4 से 5 बार कोशिश करने के बाद वह बार बार विफल हो रहा था। लेकिन उससे लॉक नहीं खुल रहा था अब ज्यादा समय तक पानी में रहना उसके लिए और भी मुश्किल था क्योंकि सांस रोकना आसान नहीं था। फाइनली उसने अपना पूरा दिमाग लगाया और एक बार और अंतिम प्रयास किया। वह विफल हुआ और उसने इमरजेंसी बटन दबा दिया धीरे-धीरे ऊपर आने लगा, पानी के ऊपर आये बॉक्स को बाहर निकाला गया और हल्का सा धक्का देकर खोला गया, वह अचंभित हो गया।*


*कि एक बार भी मेरे दिमाग में यह ख्याल क्यों नहीं आया कि मैं इसको धक्का देकर खोलूँ ,*

*हो सकता है कि ये लॉक ही ना हो। तो यही होता है,जब हम भी बहुत ज्यादा सोचते हैं,तो इसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ता है। कभी कभी ना सोचने से भी जवाब मिल जाता है। इसलिए किसी ने कहा है कि, "जो कुछ नहीं करते वह कमाल करते हैं' जी हां दोस्तों यह बात बिल्कुल सही है, कभी कभी दिमाग को जब हम शांत रखते हैं और ठंडे दिमाग से सोचने की कोशिश करते हैं तो हमें बेहतर समाधान मिल जाता है।*



*शिक्षा:-*

*किसी ने कहा है कि, "जो कुछ नहीं करते वह कमाल करते हैं' जी हां दोस्तों यह बात बिल्कुल सही है, कभी कभी दिमाग को जब हम शांत रखते हैं और ठंडे दिमाग से सोचने की कोशिश करते हैं तो हमें बेहतर समाधान मिल जाता है। हर जगह ज्यादा दिमाग नहीं लगाकर दिमाग से सोचना भी चाहिए।*


*😍😍सदैव प्रसन्न रहे😍😍*

*👍👍जो प्राप्त है,पर्याप्त है👍👍*


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प्रेरणा

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J *🎗️🌺प्रेरणा🌺🎗️*


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*✨"दुनिया में सबसे ताकतवर इंसान वह होता है जो धोखा खाकर भी लोगों की मदद करना नहीं छोड़ता।"✨*


*🔹आज से हम🔹*

*🎗️दूसरों की मदद करते रहें...*


*🛑 INSPIRATION🛑* 


*🎍One who doesn't cease to help others despite being deceived is the strongest person in the world!💫*


*❇️TODAY ONWARDS LET'S❇️*

*🎗️continue to help others.🌴*


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Hindi Story

    *!! परोपकार का फल !!*

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एक बार एक गाँव में कुछ ग्रामीण मिलकर एक सांप को मार रहे थे, तभी उसी रस्ते से संत एकनाथ का निकलना हुआ| भीड़ को देख संत एकनाथ भी वहां आ पहुंचे, बोले – भाइयों इस प्राणी को क्यों मार रहे हो, कर्मवश सांप होने से क्या यह भी तो एक आत्मा है| तभी भीड़ में खड़े एक युवक ने कहा – “आत्मा है तो फिर काटता क्यों है ?” व्यक्ति की बात सुनकर संत एकनाथ ने कहा – तुम लोग सांप को बेवजह मरोगे तो वह भी तुम्हे कटेगा ही, अगर तुम सांप को नहीं मरोगे तो वह भी तुम्हें क्यों काटेगा| ग्रामीण संत एकनाथ का काफी आदर सम्मान करते थे इसलिए संत की बात सुनकर लोगों ने सांप को छोड़ दिया।


कुछ दिनों बाद एकनाथ शाम के वक़्त घाट पर स्नान करने जा रहे थे| तभी उन्हें रास्ते में सामने फेन फैलाए एक सांप दिखाई दिया| संत एकनाथ ने सांप को रास्ते से हटाने की काफी कोशिश की लेकिन वह टस से मस न हुआ| आखिर में एकनाथ मुड़कर दुसरे घाट पर स्नान करने चले गए| उजाला होने पर लौटे तो देखा, बरसात के कारण वहां एक गड्डा हो गया था, अगर सांप ने ना बचाया होता तो संत एकनाथ उस गड्ढे में कब के समां चुके होते|


*शिक्षा :-*

इसीलिए कहा गया है, दया और परोपकार हमेशा अच्छे फल लेकर ही आते हैं।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*

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बुधवार, 23 जून 2021

Hindi Story


 मक्खी का लालच

एक बार एक व्यापारी अपने ग्रहक को शहद बेच रहा था। तभी अचानक व्यापारी के हाथ से फिसलकर शहद का बर्तन गिर गया । बहुत सा शहद भूमि पर बीखर गया | जितना शहद ऊपर ऊपर से उठाया जा सकता था उतना व्यापारी ने उठा लिया । परन्तु कुछ शहद फिर भी ज़मीन पर गिरा रह गया ।

कुछ ही देर में बहुत सी मक्खियाँ उस ज़मीन पर गिरे हुए शहद पर आकर बैठ गयीं। मीठा मीठा शहद उन्हें बड़ा अच्छा लगा । वह जल्दी-जल्दी उसे चाटने लगीं। जब तक उनका पेट भर नहीं गया वह शहद चाटती रहीं ।

जब मक्खियों का पेट भर गया और उन्होने उड़ना चाहा, तो वह उड़ ना सकीं। क्योंकि उनके पंख शहद में चिपक गए थे । उड़ने के लिए उन्होने बहुत कोशिश की परन्तु वह फिर भी उड़ ना पायीं। वह जितना छटपटाती उनके पंख उतने चिपकते जाते। उनके सारे शरीर में शहद लगता जाता ।

काफी मक्खियाँ शहद में लोट-पोट होकर मर गाय । बहुत सी मक्खियाँ पंख चिपकने से छट पटा रहीं थीं। परन्तु तब भी नई मक्खियाँ शहद के लालच में वहाँ आती रहीं। मरी और छट पटाती मक्खियों को देखकर भी वह शहद खाने का लालच नहीं छोड़ पाई

मक्खियों की दुर्गति और मूर्खता देखकर व्यापारी बोला- जो लोग जीभ के स्वाद के लालच में पड़ जाते है, वह इन मक्खियों के समान ही मूर्ख होते हैं। स्वाद के थोड़ी देर के सुख उठाने के लालच में वह अपने स्वास्थ को नष्ट कर देते हैं। रोगी बनकर तड़पते है और जल्द ही मर जाते हैं।

Thank you ✍️🙂

भला आदमी (Story)



            *!! भला आदमी !!*

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एक बार एक धनी पुरुष ने एक मंदिर बनवाया | मंदिर में भगवान की पूजा करने के लिए एक पुजारी | मंदिर के खर्च के लिए बहुत सी भूमि, खेत और बगीचे मंदिर के नाम लगाएं | उन्होंने ऐसा प्रबंध किया था कि जो मंदिरों में भूखे, दीन दुखी या साधु-संतों आवे, वे वहां दो-चार दिन ठहर सके और उनको भोजन के लिए भगवान का प्रसाद मंदिर से मिल जाया करे | अब उन्हें एक ऐसे मनुष्य की आवश्यकता हुई जो मंदिर की संपत्ति का प्रबंध करें और मंदिर के सब कामों को ठीक-ठीक चलाता रहे !


बहुत से लोग उस धनी पुरुष के पास आए | वे लोग जानते थे कि यदि मंदिर की व्यवस्था का काम मिल जाए तो वेतन अच्छा मिलेगा | लेकिन उस धनी पुरुष ने सबको लौटा दिया | वह सब से कहता था – ‘ मुझे एक भला आदमी चाहिए, मैं उसको अपने आप छाट लूंगा |’


बहुत से लोग मन ही मन में उस धनी पुरुष को गालियां देते थे | बहुत लोग उसे मूर्ख या पागल बतलाते थे | लेकिन वह धनी पुरुष किसी की बात पर ध्यान नहीं देता था | जब मंदिर के पट खुलते थे और लोग भगवान के दर्शन के लिए आने लगते थे तब वह धनी पुरुष अपने मकान की छत पर बैठकर मंदिर में आने वाले लोगों को चुपचाप देखता रहता था |


एक दिन में एक मनुष्य मंदिर में दर्शन करने आया | उसके कपड़े मैले और फटे हुए थे वह बहुत पढ़ा लिखा भी नहीं जान पड़ता था | जब वह भगवान का दर्शन करके जाने लगा तब धनीपुर उसने अपने पास बुलाया और कहा – ‘ क्या आप इस मंदिर की व्यवस्था संभालने का काम करेंगे ?’

वह मनुष्य बड़े आश्चर्य में पड़ गया | उसने कहा – ‘मैं तो बहुत पढ़ा लिखा नहीं हूं मैं इतने बड़े मंदिर का प्रबंध कैसे कर सकूंगा ?’


धनी पुरुष ने कहा – ‘मुझे बहुत विद्वान नहीं चाहिए मैं तो एक भले आदमी को मंदिर का प्रबंधक बनाना चाहता हूं |’


उस मनुष्य ने कहा – ‘आपने इतने मनुष्य में मुझे ही क्यों भला आदमी माना |’


धनी पुरुष बोला – ‘मैं जानता हूं कि आप भले आदमी हैं | मंदिर के रास्ते में एक ईंट का टुकड़ा गड़ा रह गया था और उसका एक कौना ऊपर निकला था मैं उधर से बहुत दिनों से देख रहा था कि उस मंदिर के टुकड़े की नोक से लोगों को ठोकर लगती थी लोग गिरते थे लुढ़कते थे और उठ कर चलते थे | आपको उस टुकड़े से ठोकर नहीं लगी किंतु आपने उसे देख कर ही उखाड़ देने का यतन किया मैं देख रहा था कि आप मेरे मजदूर से फावड़ा मांगकर ले गए और उस टुकड़े को खोदकर आपने वहां की भूमि भी बराबर कर दी |’


उस मनुष्य ने कहा – “यह तो कोई बात नहीं है रास्ते में पड़े कांटे, कंकड़ और पत्थर लगने योग्य पत्थर, ईटों को हटा देना तो प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है |’


धनी पुरुष ने कहा – ‘अपने कर्तव्यों को जानने और पालन करने वाले लोग ही भले आदमी होते हैं |’


वह मनुष्य मंदिर का प्रबंधक बन गया उसने मंदिर का बड़ा सुंदर प्रबंध किया |


*शिक्षा -*

"मित्रों! “हर मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए..!!"

 

*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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प्रेरक प्रसङ्ग

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*🌷🌷सुप्रभात 🌷🌷*


*🌼🌼 प्रेरक प्रसङ्ग🌼🌼*


*🎗️🌺!! अपनी क्षमता पहचानो !!🌺🎗️*


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*एक गाँव में एक आलसी आदमी रहता था. वह कुछ काम-धाम नहीं करता था. बस दिन भर निठल्ला बैठकर सोचता रहता था कि किसी तरह कुछ खाने को मिल जाये. एक दिन वह यूं ही घूमते-घूमते आम के एक बाग़ में पहुँच गया. वहाँ रसीले आमों से लदे कई पेड़ थे. रसीले आम देख उसके मुँह में पानी आ गया और आम तोड़ने वह एक पेड़ पर चढ़ गया. लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा, बाग़ का मालिक वहाँ आ पहुँचा. बाग़ के मालिक को देख आलसी आदमी डर गया और जैसे-तैसे पेड़ से उतरकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ।*


*भागते-भागते वह गाँव में बाहर स्थित जंगल में जा पहुँचा. वह बुरी तरह से थक गया था. इसलिए एक पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा. तभी उसकी नज़र एक लोमड़ी (Fox) पर पड़ी. उस लोमड़ी की एक टांग टूटी हुई थी और वह लंगड़ाकर चल रही थी. लोमड़ी को देख आलसी आदमी सोचने लगा कि ऐसी हालत में भी इस जंगली जानवरों से भरे जंगल में ये लोमड़ी बच कैसे गई? इसका अब तक शिकार कैसे नहीं हुआ? जिज्ञासा में वह एक पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ बैठकर देखने लगा कि अब इस लोमड़ी के साथ आगे क्या होगा?*


*कुछ ही पल बीते थे कि पूरा जंगल शेर (Lion) की भयंकर दहाड़ से गूंज उठा. जिसे सुनकर सारे जानवर डरकर भागने लगे. लेकिन लोमड़ी अपनी टूटी टांग के साथ भाग नहीं सकती थी. वह वहीं खड़ी रही. शेर लोमड़ी के पास आने लगा. आलसी आदमी ने सोचा कि अब शेर लोमड़ी को मारकर खा जायेगा. लेकिन आगे जो हुआ, वह कुछ अजीब था. शेर लोमड़ी के पास पहुँचकर खड़ा हो गया. उसके मुँह में मांस का एक टुकड़ा था, जिसे उसने लोमड़ी के सामने गिरा दिया. लोमड़ी इत्मिनान से मांस के उस टुकड़े को खाने लगी. थोड़ी देर बाद शेर वहाँ से चला गया.*


*यह घटना देख आलसी आदमी सोचने लगा कि भगवान सच में सर्वेसर्वा है. उसने धरती के समस्त प्राणियों के लिए, चाहे वह जानवर हो या इंसान, खाने-पीने का प्रबंध कर रखा है. वह अपने घर लौट आया. घर आकर वह 2-3 दिन तक बिस्तर पर लेटकर प्रतीक्षा करने लगा कि जैसे भगवान ने शेर के द्वारा लोमड़ी के लिए भोजन भिजवाया था. वैसे ही उसके लिए भी कोई न कोई खाने-पीने का सामान ले आएगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. भूख से उसकी हालात ख़राब होने लगी. आख़िरकार उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ा.*


*घर के बाहर उसे एक पेड़ के नीचे बैठे हुए बाबा दिखाए पड़े. वह उनके पास गया और जंगल का सारा वृतांत सुनाते हुए वह बोला, “बाबा जी! भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके पास जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध है. लेकिन इंसानों के लिए नहीं.” बाबा जी ने उत्तर दिया, “बेटा! ऐसी बात नहीं है. भगवान के पास सारे प्रबंध है. दूसरों की तरह तुम्हारे लिए भी. लेकिन बात यह है कि वे तुम्हें लोमड़ी नहीं शेर बनाना चाहते हैं.”*


*शिक्षा:–* 

*हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार है. बस अपनी अज्ञानतावश हम उन्हें पहचान नहीं पाते और स्वयं को कमतर समझकर दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा करते रहते हैं. स्वयं की क्षमता पहचानिए. दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा मत करिए. इतने सक्षम बनिए कि आप दूसरों की सहायता कर सकें*


*😍😍सदैव प्रसन्न रहे😍😍*

*👍👍जो प्राप्त है, पर्याप्त है👍👍*


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प्रेरणा

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         🔹 * प्रेरणा* 🔹

 

दुनिया में सबसे ताकतवर इंसान वह होता है जो धोखा खाकर भी लोगों की मदद करना नहीं छोड़ता।


*आज से हम* दूसरों की मदद करते रहें...


💧  INSPIRATION💧


One who doesn't cease to help others despite being deceived is the strongest person in the world!


*TODAY ONWARDS LET'S* continue to help others.


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मंगलवार, 22 जून 2021

*🐪अंतरराष्ट्रीय ऊँट दिवस-22 जून*🐪 🎀

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    *🐪अंतरराष्ट्रीय ऊँट दिवस-22 जून*🐪

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*#Jaisalmer: अंतरराष्ट्रीय ऊंट दिवस आज*


*रेत के समंदर में डूबने लगा रेगिस्तानी जहाज, संरक्षण के अभाव में असुरक्षित हैं राज्य पशु ऊंट, राज्य पशु ऊंट 5 साल में 35 प्रतिशत कम हुए, विश्व में तीसरे नंबर से दसवें स्थान पर आया भारत....*



*🐪अंतरराष्ट्रीय ऊंट दिवस:🐪अस्तित्व पर संकट के बादल, साधनों के कारण जिले में 21 साल में 57 हजार ऊंट घटे*


*ऊंटपालन के प्रति कम हो रहा पशुपालकों का रूझान,*


*रेगिस्तान में रेगिस्तान का जहाज ऊंट का अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इसकी वजह है साधनों का उपयोग बढ़ने के कारण ऊंटों का महत्व लगातार कम हो रहा है। किसी जमाने में आवागमन का साधन ऊंट ही थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में तेजी से वाहनों का प्रचलन बढ़ा है। ऐसे में ऊंटों का उपयोग भी कम होता जा रहा है।*


*पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 तक जिले में एक लाख ऊंट थे। बीते 21 सालों में ऊंटों की संख्या घटकर 43 हजार पहुंच गई है। यानी 57 हजार ऊंट कम हो गए हैं। वर्तमान में ऊंटों के संरक्षण एवं संवर्द्धन की आवश्यकता है। ऊंट पश्चिमी राजस्थान में महत्वपूर्ण पशु है। जिसके द्वारा विभिन्न कार्यों को अंजाम दिया जाता है। पहले यह खेती में काम आता था। पानी लाने में भी काम आता है।*


*रेगिस्तान में चिलचिलाती धूप में एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन के लिए ऊंट मुख्य साधन है। बहुत जगह जहां पर मानव निर्मित साधन नहीं पहुंच पाते थे वहां पर ऊंट पहुंच जाता है। ऊंट की महत्ता केवल यहां तक ही सीमित नहीं रही। बॉर्डर पर बीएसएफ के जवान ऊंटों से ही गश्त करते हैं।*


*इतना ही नहीं ऊंटनी के दूध का प्रयोग विभिन्न घातक बीमारियों को ठीक करने में भी काम में लिया जाता है। लेकिन समय के साथ- साथ आधुनिकीकरण की दौड़ में लोग इसके महत्व को भूलते जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय ऊंट दिवस पर ऊंटों के संरक्षण का संकल्प लेना होगा तभी गुम हो रही ऊंट प्रजाति को बचा सकेंगे।अगर इस पर अभी से विचार नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब ऊंट केवल चिड़ियाघर में दिखाई देगा।*


*(जैसा कि कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप पगारिया ने भास्कर को बताया)*



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प्रेरणा

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*🎗️✨🎍प्रेरणा🎍✨🎗️* 


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*🌺ज़िन्दगी एक आईने की तरह है... वो आपको देख के तब 😊मुस्कुराएगी जब आप उसे देखकर 😊मुस्कुरायेंगे।*


*🔹आज से हम🔹*

*🌴सदा अपनी ज़िंदगी से खुश रहें...*


*❇️ INSPIRATION❇️* 


*✨Life is like a mirror... It'll smile at you, if you smile at it!💫*


*🌺TODAY ONWARDS LET'S🌼*

 *✨always be happy with our life.🎗️*


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सामान्य ज्ञान📙📘

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     *🎊 सामान्य ज्ञान🎊*


*🚨⏰"विज्ञापनों में घड़ियां दस बजकर दस मिनट का वक्त ही क्यों दिखाती हैं?"⏰🚨*


वक्त की फितरत है, बदलना. अच्छे से बुरे वक्त में और बुरे से अच्छे में. वक्त अपनी खासियतों के साथ ही बदलता है, यानी अच्छा हो तो कब गुजर गया पता ही नहीं चलता. इसी तरह बुरा हो तो लाख दिलासे मिलते रहें कि यह वक्त भी गुजर जाएगा पर लगता है कि काटे नहीं कट रहा. लेकिन एक ठिया है जहां वक्त अक्सर ठहरा हुआ मिलता है और वक्त का वह ठिया खुद घड़ियां हैं. कैसी मजेदार सी बात है कि जिस घड़ी के घूमने पर दुनिया चक्कर लगाती है उसी घड़ी के ज्यादातर विज्ञापनों में उसके कांटे एक ही वक्त यानी 10 बजकर 10 मिनट पर अटके रहते हैं. तो अब सवाल है कि ऐसा क्यूं है?


🔮इन घड़ियों के हमेशा एक सा वक्त बताने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं. पहले हम उन कारणों की चर्चा कर लेते हैं जो ज्यादा प्रचलित हैं लेकिन सही नहीं हैं. पहला और सबसे आसान (और सबसे बेतुका भी) कारण बताया जाता है कि जिस पल घड़ी की खोज की गई उस समय 10 बजकर 10 मिनट बज रहे थे. इसलिए यह समय घड़ियों पर अटक गया. हालांकि इस जानकारी के समर्थन में कोई ऐतिहासिक तथ्य नहीं मिलते इसलिए इसे कोरी बकवास माना जाता है.


🔮एक अन्य मान्यता के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की मृत्यु ठीक इसी समय पर हुई थी इसलिए उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए घड़ियों पर यह समय दिखाया जाता है. यह जानकारी भी सही नहीं है क्योंकि लिंकन को 15 अप्रैल 1865 को रात ठीक सवा दस बजे गोली मारी गई थी लेकिन अगले दिन सुबह 07:22 बजे उनकी मृत्यु हुई थी. इस घटना से जुड़े सभी ऐतिहासिक रिकॉर्ड मौजूद हैं जिनसे मिले इन तथ्यों के आधार पर घड़ियों में 10 बजकर 10 मिनट दिखाने की गुत्थी नहीं सुलझती. एक धारणा यह भी है कि हिरोशिमा और नागासाकी पर हमला ठीक इतने बजे ही हुआ था. लेकिन समय के आंकड़े यहां भी मेल नहीं खाते. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान पहला परमाणु बम सुबह ग्यारह बजे और दूसरा दो दिन बाद सुबह सवा आठ बजे गिराया गया था. यानी इसका भी घड़ी में 10 बजकर 10 मिनट बजाए जाने से कोई संबंध जोड़ना महज गप्पबाजी है.


🔮बीसवीं सदी की शुरूआत में जब घड़ी के प्रिंटेड विज्ञापन आने शुरू हुए तब घड़ियों में यह समय नहीं दिखाया जाता था. तब इसका कोई नियम नहीं था और निर्माता कंपनियां मनमर्जी से कोई भी समय दिखा देती थीं. माना जाता है कि 1920 के बाद विज्ञापनों के साथ-साथ दुकानों में घड़ियों में एक निश्चित समय दिखाने का चलन शुरू हुआ. उस समय की अग्रणी घड़ी निर्माता कंपनियों में से एक वाल्थम ने जहां घंटे और मिनट की कांटों या सुइयों को 10 और 2 के बीच रखा वहीं रूमर्स वॉचेज ने 8 और 4 के बीच कांटे सेट किए. इसके पीछे सबसे बड़ा तर्क यह दिया गया कि कांटों के इस तरह व्यवस्थित रहने से घड़ी की स्टाइलिंग स्पष्ट नजर आती है. यह बात बहुत हद तक सही है क्योंकि प्रयोग भी बताते हैं कि सममित वस्तुएं (जिन्हें एक आभासी या वास्तविक लाइन के जरिए दो बिलकुल एक जैसे हिस्सों में बांटा जा सके) ग्राहक को अधिक आकर्षक और प्रभावी लगती हैं.


🔮कांटों को इस तरह सेट करने के पीछे एक मंशा यह भी थी कि ऐसा करने पर निर्माता कंपनी का नाम स्पष्ट दिखाई देगा जो अमूमन 12 के पास लिखा जाता है. घड़ी में कभी-कभी तारीख या सेकंड बताने के लिए अलग से सेकंडरी डायल बनाया जाता है. यह अक्सर 3, 6 और 9 नंबरों के पास या इनके बीच में कहीं रखा जाता है. ऐसे मे 10 और 2 पर सेट की गई कांटों की व्यवस्था में सेकंडरी डायल साफ-साफ देखा जा सकता है. यह बात 8 और 4 पर सेट कांटों की व्यवस्था के लिए भी सही है. ये दोनों पैटर्न कारगर होने के चलते अगले पचास सालों तक चलन में बने रहे.


🔮लेकिन 1970 का दशक आते-आते ज्यादातर घड़ी कंपनियों ने 10 और 2 पर कांटों की व्यवस्था को अपना लिया. इसकी एक और वजह थी. विशेषज्ञों के मुताबिक 8 और 4 के बीच कांटों को सेट करने के पैटर्न में ब्रांडनेम या निर्माता का नाम तो अधिक स्पष्टता से दिखता है लेकिन यह कहीं न कहीं ग्राहकों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. कांटों की यह स्थिति सैड स्माइली फेस (उदास या दुखभरा चेहरे का प्रतीक) बनाती है. इसके उलट 10 बजकर 10 मिनट बजाने वाले पैटर्न में कांटों की स्थिति मुस्कुराने जैसी होती है. कुछ लोग इसमें जीत यानी विक्टरी का ‘वी’ भी देखते हैं. ये कुछ ऐसे तर्क थे जो बड़े जल्दी ही तमाम घड़ी निर्माताओं ने मान लिए और फिर तकरीबन सभी ने विज्ञापनों या शोरूम में रुकी हुई घड़ियों पर 10:10 बजे के वक्त को ही अपना लिया


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Hindi Story ( धनीराम)



               *!! धनीराम !!*

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एक गांव में एक बहुत बड़ा धनवान व्यक्ति रहता था। लोग उसे सेठ धनीराम कहते थे। उस सेठ के पास प्रचुर मात्रा में धन संपत्ति थी जिसके कारण उसके सगे-संबंधी, रिश्तेदार, भाई-बहन हमेशा उसे घेरे रहते थे वे उन्हीं के राग अलापते रहते थे, सेठ भी उन सभी लोगों की काफी मदद करता था। तभी अचानक कुछ समय बाद सेठ को भंयकर रोग लग गया।


इस भयंकर बीमारी का सेठ ने बहुत उपचार करवाया लेकिन इसका इलाज नहीं हो सका। आख़िरकार सेठ की मृत्यु हो गई। यमदूत उस सेठ को अपने साथ ले जाने के लिए आ गए, जैसे ही यमदूत सेठ को ले जाने लगे तभी सेठ थोड़ी दूर जाकर यमदूतो से प्रार्थना करने लगे कि “मुझे थोड़ा सा समय दे दो, मैं लौटकर तुरंत आता हूँ” दूतों ने उसे अनुमति दे दी।


सेठ लौटकर आया, चारो ओर नज़रे घुमायीं और वापस यमदूतों के पास आकर बोला- “शीघ्र चलिए” यमदूत उसे इस प्रकार अपने साथ चलने के लिए तैयार देखकर चकित रह गए और सेठ से इसका कारण पूछा। सेठ ने निराशा भरे स्वरों में कहा- “मैंने हेराफेरी करके अपार धन एकत्रित किया था, लोगों को खूब खिलाया-पिलाया और उनकी बहुत मदद भी की, सोचा था कि वो मेरा साथ कभी नहीं छोडेंगे। अब जब मैं इस दुनिया को सदा के लिए छोड़ कर जा रहा हूँ, तो वे सब बदल गए है मेरे लिए दुखी होने के बजाय, ये अभी से मेरी संपत्ति को बांटने की योजना बनाने लगे है किसी को मेरे लिए जरा-सा भी अफसोस नहीं है।”


सेठ की बात सुनकर यमदूत बोले- “इस संसार में प्राणी अकेला ही आता है और अकेला ही जाता है, इंसान जो भी अच्छा या बुरा कर्म करता है उसे इसका परिणाम स्वयं ही भुगतना पड़ता है, हर प्राणी इस सत्य को समझता तो है पर देर से।”


*जीवन की सीख:-*

हम इस बात को अपने जीवन में भी देख रहे हैं। लोग जीवन के सत्य को भूलकर मानव द्वारा बनाए गए जाल जैसे लालच, रूपए-पैसा, बुराई आदि तले दब गए हैं।


आप जो भोजन ग्रहण करते है वह पेट में 4 घंटे रहता है, जो वस्त्र पहनते है वह 4 महीने रहता है, लेकिन जो ज्ञान आप हासिल करते हैं वह आपके अंतिम सांस तक साथ रहता है और संस्कार बनकर आपकी अगली पीढी तक पहुँचता है, ज्ञान का बीज कभी व्यर्थ नहीं जाता। जो है जितना है सफल करते चलो, सफल करने से ही सफलता मिलती है।


हर व्यक्ति को सकारात्मक तरीके से देखो, सुनो और समझो। हम जितना ज्यादा पढ़ते है, सुनते है, समझते है, हमें अपनी कमियों का उतना ही ज्यादा एहसास होता है और इसी कमी को दूर करके हम सफलता की मंजिल की और अपने कदम बढ़ाते चले जाते हैं।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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सोमवार, 21 जून 2021

सुविचार

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🎗️✨ सुविचार🎗️✨

      


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*💫"काम करो ऐसे कि पहचान बन जाए,*

 *🌺चलो ऐसे कि निशान बन जाए,*

*🌼अरे जिंदगी तो हर कोई काट लेता है*

*✨अगर दम है तो जियो ऐसे कि मिसाल बन जाए"*


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*✨"Work in such a way that it becomes an identity,*

 *🌼Let it become such a mark,*

*🌴oh life everyone bites*

*💫If you have guts, then live such that you become an example.*


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