बुधवार, 30 जून 2021

🌼 प्रेरक प्रसङ्ग🌼

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*🌼🌼 प्रेरक प्रसङ्ग🌼🌼*


        🎗️🌺🎍!! मन !!🎍🌺🎗️


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*सुबह होते  ही, एक भिखारी नरेन्द्रसिंह के घर पर भिक्षा मांगने के लिए पहुँच गया।  भिखारी ने  दरवाजा खटखटाया, नरेन्द्रसिंह बाहर आये पर उनकी जेब में देने के लिए कुछ न निकला।  वे कुछ दु:खी होकर घर के अंदर गए और एक बर्तन उठाकर भिखारी को दे दिया। भिखारी के जाने के थोड़ी देर बाद ही वहां नरेन्द्रसिंह की पत्नी आई और बर्तन न पाकर चिल्लाने लगी- “अरे! क्या कर दिया आपने चांदी का बर्तन भिखारी को दे दिया।  दौड़ो-दौड़ो और उसे वापिस लेकर आओ।”*


*नरेन्द्रसिंह दौड़ते हुए गए और भिखारी को रोककर कहा- “भाई मेरी पत्नी ने मुझे जानकारी दी है कि यह गिलास चांदी का है, कृपया इसे सस्ते में मत बेच दीजियेगा। ”वहीँ पर खड़े नरेन्द्रसिंह के एक मित्र ने उससे पूछा- मित्र! जब आपको  पता चल गया था कि ये गिलास चांदी का है तो भी उसे गिलास क्यों ले जाने दिया?” नरेन्द्रसिंह ने मुस्कुराते हुए कहा- “मन को इस बात का अभ्यस्त बनाने के लिए कि वह बड़ी से बड़ी हानि में भी कभी दुखी और निराश न हो!”*


*शिक्षा– मन को कभी भी निराश न होने दें, बड़ी से बड़ी हानि में भी प्रसन्न रहें।  मन उदास हो गया तो आपके कार्य करने की गति धीमी हो जाएगी। इसलिए मन को हमेशा प्रसन्न रखने का प्रयास करें।*


*😍😍सदैव प्रसन्न रहे😍😍*

*👍👍जो प्राप्त है, पर्याप्त है👍👍*


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💫 प्रेरक प्रसंग 💫



💫 प्रेरक प्रसंग 💫

 

          *!! कृतज्ञ रहें !!*

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भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र अपनी उदारता के कारण लगभग कंगाल हो चुके थे। एक समय ऐसा आया कि जब उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि आये हुए पत्रों का उत्तर भेज सकें। जो पत्र आते थे, उनके उत्तर लिखकर लिफाफे में बंद कर भारतेंदु जी मेज पर रख देते थे। उन पर टिकट लगाने को पैसे हों तो पत्र भेजे जाएँ। उनकी मेज पर पत्रों की एक ढेरी एकत्र हो गयी थी। उनके एक मित्र ने उन्हें पाँच रुपये के डाक टिकट लाकर दिये, तब वे लेटर बॉक्स में डाले गये। बाबू जी ने मुसीबतों से हिम्मत नहीं हारी। 


जिसका परिणाम यह हुआ कि कुछ समय बाद भारतेंदु जी स्थिति थोड़ी ठीक हुई। जब-जब वे मित्र से मिलते थे, तब-तब भारतेंदु जी जबरदस्ती उनकी जेब में पाँच रुपये डाल देते और कहते-“आपको स्मरण नहीं, आपके पाँच रुपये मुझ पर ऋण हैं।” मित्र ने एक दिन कहा-“मुझे अब आपसे मिलना बंद कर देना पड़ेगा।” भारतेंदु बाबू के नेत्र भर आये। वे बोले-“भाई तुमने मुझे ऐसे समय पाँच रुपये दिये थे कि मैं जीवनभर तुम्हें प्रतिदिन अब पाँच रुपये देता रहूं, तो भी तुम्हारे ऋण से छुट नहीं सकता।”


*शिक्षा:-*

यह थी कृतज्ञता की पराकाष्ठा। अपने बुरे वक्त को मत भूलिए और बुरे वक्त में जिन लोगों ने आपकी मदद की उन्हें तो बिल्कुल मत भूलिये। ऐसा करना आपके उन्नति मार्ग को प्रशस्त करता है।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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मंगलवार, 29 जून 2021

💫 प्रेरक प्रसंग 💫


💫  प्रेरक प्रसंग 💫


          *!! आलस रूपी भैंस !!*

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एक बार की बात है। एक महात्मा अपने शिष्य के साथ एक गांव से गुजर रहे थे। दोनों को बहुत भूख लगी थी। पास में ही एक घर था। दोनों घर के पास पहुंचे और दरवाजा खटखटाया। अंदर से फटे-पुराने कपड़े पहना एक आदमी निकला। 


महात्मा ने उससे कहा- हमें बहुत भूख लगी है। कुछ खाने को मिल सकता है क्या? उस आदमी ने उन दोनों को खाना खिलाया।


खाना खाने के बाद महात्मा ने कहा- तुम्हारी जमीन बहुत उपजाऊ लग रही है, लेकिन फसलों को देखकर लगता है कि तुम खेत पर ज्यादा ध्यान ही नहीं देते। फिर तुम्हारा गुजारा कैसे होता है? 


आदमी ने उत्तर दिया- हमारे पास एक भैंस है, जो काफी दूध देती है। उससे मेरा गुजारा हो जाता है। 


रात होने लगी थी, इसलिए महात्मा शिष्य सहित वहीं रुक गए। रात को उस महात्मा ने अपने शिष्य को उठाया और कहा- चलो हमें अभी ही यहां से निकलना होगा और इसकी भैंस भी हम साथ ले चलेंगे। 


शिष्य को गुरु की बात अच्छी नहीं लगी, लेकिन करता क्या! दोनों भैंस को साथ लेकर चुपचाप निकल गए। यह बात उस शिष्य के मन में खटकती रही। 


कुछ सालों बाद एक दिन शिष्य उस आदमी से मिलने का मन बनाकर उसके गांव पहुंचा। जब शिष्य उस खेत के पास पहुंचा, तो देखा खाली पड़े खेत अब फलों के बगीचों में बदल चुके थे। उसे यकीन नहीं आ रहा था, तभी वह आदमी सामने दिख गया। 


शिष्य उसके पास जाकर बोला- सालों पहले मैं अपने गुरु के साथ आपसे मिला था। आदमी ने शिष्य को आदर पूर्वक बिठाया और बताने लगा... उस दिन मेरी भैंस खो गई। पहले तो समझ में नहीं आया कि क्या करूं। 


फिर, जंगल से लकड़ियां काटकर उन्हें बाजार में बेचने लगा। उससे कुछ पैसे मिले, तो मैंने बीज खरीद कर खेतों में बो दिए। उस साल फसल भी अच्छी हो गई। उससे जो पैसे मिले उन्हें मैंने फलों के बगीचे लगाने में इस्तेमाल किया। 


अब काम बहुत ही अच्छा चल रहा है। और इस समय मैं इस इलाके में फलों का सबसे बड़ा व्यापारी हूं। कभी-कभी सोचता हूं उस रात मेरी भैंस न खोती तो यह सब न होता। 


शिष्य ने उससे पूछा, यह काम आप पहले भी तो कर सकते थे? तब वह बोला, उस समय मेरी जिंदगी बिना मेहनत के चल रही थी। मुझे कभी लगा ही नहीं कि मैं इतना कुछ कर सकता हूं।


*शिक्षा:-*

अगर आपके जीवन में भी कोई ऐसी आलस रूपी भैंस है, जो आपको बड़ा बनने से रोक रही है, तो उसे आज ही छोड़ दें। यह करना बहुत ही मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं है।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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सोमवार, 28 जून 2021

Hindi Story

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*🙏🙏🌷सुप्रभात🌷 🙏🙏*


*🌼🌼🌼 प्रेरक प्रसङ्ग🌼🌼*


*🎗️🌺!! सफल वही होता हैं जो लक्ष्य का निर्धारण कर उस पर अडिग रहता हैं !!🎗️*


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*एक बार की बात है, एक निःसंतान राजा था, वह बूढा हो चुका था और उसे राज्य के लिए एक योग्य उत्तराधिकारी की चिंता सताने लगी थी। योग्य उत्तराधिकारी के खोज के लिए राजा ने पुरे राज्य में ढिंढोरा पिटवाया कि अमुक दिन शाम को जो मुझसे मिलने आएगा, उसे मैं अपने राज्य का एक हिस्सा दूंगा। राजा के इस निर्णय से राज्य के प्रधानमंत्री ने रोष जताते हुए राजा से कहा, "महाराज, आपसे मिलने तो बहुत से लोग आएंगे और यदि सभी को उनका भाग देंगे तो राज्य के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। ऐसा अव्यावहारिक काम न करें।"* 


*राजा ने प्रधानमंत्री को आश्वस्त करते हुए कहा, ''प्रधानमंत्री जी, आप चिंता न करें, देखते रहें, क्या होता है।'  निश्चित दिन जब सबको मिलना था, राजमहल के बगीचे में राजा ने एक विशाल मेले का आयोजन किया। मेले में नाच-गाने और शराब की महफिल जमी थी, खाने के लिए अनेक स्वादिष्ट पदार्थ थे। मेले में कई खेल भी हो रहे थे। राजा से मिलने आने वाले कितने ही लोग नाच-गाने में अटक गए, कितने ही सुरा-सुंदरी में, कितने ही आश्चर्यजनक खेलों में मशगूल हो गए तथा कितने ही खाने-पीने, घूमने-फिरने के आनंद में डूब गए। इस तरह समय बीतने लगा*


*पर इन सभी के बीच एक व्यक्ति ऐसा भी था जिसने किसी चीज की तरफ देखा भी नहीं, क्योंकि उसके मन में निश्चित ध्येय था कि उसे राजा से मिलना ही है। इसलिए वह बगीचा पार करके राजमहल के दरवाजे पर पहुंच गया। पर वहां खुली तलवार लेकर दो चौकीदार खड़े थे। उन्होंने उसे रोका। उनके रोकने को अनदेखा करके और चौकीदारों को धक्का मारकर वह दौड़कर राजमहल में चला गया, क्योंकि वह निश्चित समय पर राजा से मिलना चाहता था। जैसे ही वह अंदर पहुंचा, राजा उसे सामने ही मिल गए और उन्होंने कहा, 'मेरे राज्य में कोई व्यक्ति तो ऐसा मिला जो किसी प्रलोभन में फंसे बिना अपने ध्येय तक पहुंच सका। तुम्हें मैं आधा नहीं पूरा राजपाट दूंगा। तुम मेरे उत्तराधिकारी बनोगे।*


*शिक्षा:-*

*सफल वही होता है जो लक्ष्य का निर्धारण करता है, उसपर अडिग रहता है, रास्ते में आने वाली हर कठिनाइयों का डटकर सामना करता है और छोटी-छोटी कठिनाईयों को नजरअंदाज कर देता है।*


*😍😍सदैव प्रसन्न रहे😍😍*

*👍👍जो प्राप्त है, पर्याप्त है👍👍*


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प्रेरणा

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 *🎗️🌺🎍 प्रेरणा🎍🌺🎗️* 


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*✨जीवन में सपनों के लिए कभी अपनों से दूर मत होना क्योंकि अपनों के बिना सपनों का कोई मतलब नहीं।🎗️*


*🔹आज से हम🔹*

*💫अपनों के साथ सपनों को पूरा करें...*


 *INSPIRATION🛑* 


*🌴Never go away from loved ones to achieve your dreams because without loved ones accomplishments have no value!🌼*


*❇️TODAY ONWARDS LET'S❇️*

*🌺achieve our dreams by being with our loved ones.🎗️*


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💫प्रेरक प्रसंग 💫


*💫प्रेरक प्रसंग 💫*


             *!! स्वतंत्रता !!*

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एक सन्त के आश्रम में एक शिष्य कहीं से एक तोता ले आया और उसे पिंजरे में रख लिया। सन्त ने कई बार शिष्य से कहा कि “इसे यों कैद न करो। परतंत्रता संसार का सबसे बड़ा अभिशाप है।”


किन्तु शिष्य अपने बालसुलभ कौतूहल को न रोक सका और उसे अर्थात् पिंजरे में बन्द किये रहा।


तब सन्त ने सोचा कि “तोता को ही स्वतंत्र होने का पाठ पढ़ाना चाहिए”


उन्होंने पिंजरा अपनी कुटी में मँगवा लिया और तोते को नित्य ही सिखाने लगे- ‘पिंजरा छोड़ दो, उड़ जाओ।’


कुछ दिन में तोते को वाक्य भली भाँति रट गया। तब एक दिन सफाई करते समय भूल से पिंजरा खुला रह गया। सन्त कुटी में आये तो देखा कि तोता बाहर निकल आया है और बड़े आराम से घूम रहा है साथ ही ऊँचे स्वर में कह भी रहा है- “पिंजरा छोड़ दो, उड़ जाओ।”


सन्त को आता देख वह पुनः पिंजरे के अन्दर चला गया और अपना पाठ बड़े जोर-जोर से दुहराने लगा। सन्त को यह देखकर बहुत ही आश्चर्य हुआ। साथ ही दुःख भी।


वे सोचते रहे “इसने केवल शब्द को ही याद किया! यदि यह इसका अर्थ भी जानता होता- तो यह इस समय इस पिंजरे से स्वतंत्र हो गया होता!


*शिक्षा:-*

हम सब भी ज्ञान की बड़ी-बड़ी बातें सीखते और करते तो हैं किन्तु उनका मर्म नहीं समझ पाते और उचित समय तथा अवसर प्राप्त होने पर भी उसका लाभ नहीं उठा पाते और जहाँ के तहाँ रह जाते हैं। 


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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रविवार, 27 जून 2021

प्रेरक प्रसङ्ग Today special

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*🌼🌼🌼 प्रेरक प्रसङ्ग 🌼🌼*


🎗️✨!! *उड़नपरी P.T. उषा* !!✨🎗️


*🎂जन्म दिन विशेष : महान एथलीट धावक पीटी उषा🎂*

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*कहा जाता है कि प्रतिभा किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती। प्रतिभावान इंसान उस सूरज के समान है जो समस्त संसार को अपनी रौशनी से चकाचौंध कर देता है। आज हम बात कर रहे हैं भारत की शान, उड़न परी पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा यानि (पी.टी. उषा) की, जिन पर हर भारतीय को नाज होना चाहिए। पी. टी. उषा ने अब तक 101 अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं और वो एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट मानी जाती हैं।*



*पी. टी. उषा खुद नहीं जानती थी अपनी क्षमता*


*27 जून 1964 केरल के कोझीकोड ज़िले के पय्योली ग्राम में जन्मी उषा खुद नहीं जानती थीं कि वह दुनिया की सबसे तेज दौड़ने वाली खिलाड़ी बन सकती हैं। उषा का बचपन बहुत ही गरीबी में गुजरा है। खेलने की बात तो दूर है, उनके परिवार की इतनी भी आमदनी नहीं थी कि परिवार का गुजारा सही से चल पाता। उनका जन्म पय्योली गांव में हुआ इसलिए लोग उनको पय्योली एक्सप्रैस के नाम से भी जानते हैं।*



*एक दुबली पतली लड़की में कब दिखी अदभुत क्षमता*


*उषा को बचपन से ही थोड़ा तेज चलने का शौक था। उन्हें जहाँ जाना होता बस तपाक से पहुंच जाती फिर चाहे वो गाँव की दुकान हो या स्कूल तक जाना। बात उन दिनों की है जब उषा मात्र 13 साल की थीं और उनके स्कूल में कुछ कार्यक्रम चल रहे थे जिसमें एक दौड़ की प्रतियोगिता भी थी। पी. टी. उषा के मामा ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि तू दिन भर इधर से उधर भागती रहती है, दौड़ प्रतियोगिता में भाग क्यों नहीं लेती?*


*बस मामा की बात से प्रेरित होकर उषा ने दौड़ में भाग ले लिया। ये जानकर आपको हैरानी होगी कि उस दौड़ में 13 लड़कियों ने भाग लिया था जिनमें उषा सबसे छोटी थीं। जब दौड़ की शुरुआत हुई तो पी. टी. उषा इतनी तेज दौड़ी कि बाकि लड़कियाँ देखती ही रह गयीं और पी. टी. उषा ने कुछ ही सेकेंड में दौड़ जीत ली। वो दिन उषा के चमकते करियर का पहला पड़ाव था। इसके बाद उषा को 250 रुपये मासिक छात्रवृति मिलने लगी जिससे वो अपना गुजारा चलाती।*



*13 साल की उम्र में तोड़ा नेशनल रिकॉर्ड*


*वो दौड़ तो पी. टी. उषा ने आसानी से जीत ली लेकिन उस प्रतियोगिता में एक रिकॉर्ड बना जिसे कोई नहीं जानता था और ना ही किसी से उम्मीद की थी। यहाँ तक कि उषा खुद नहीं जानती थीं कि अनजाने में ही उन्होंने नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मात्र 13 वर्ष की आयु में उषा ने नेशनल रिकॉर्ड तोड़ डाला, जरा सोचिये कितना जोश रहा होगा उस लड़की में, कितना उत्साह भरा होगा उसकी रगों को, ये सोचकर ही मेरे रौंगटे खड़े हो जाते हैं।*



*किसने पहचाना पी. टी. उषा की प्रतिभा को*


*1979 में पी. टी. उषा ने राष्ट्रीय विद्यालय प्रतियोगिता में भाग लिया। जहाँ बड़े बड़े लोग जानी मानी हस्तियां खेल देखने आई हुई थीं। उन खेलों में उषा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यहीं पे कोच ओ. ऍम. नम्बियार की नजर उनपर पड़ी तो उन्होंने पहली ही नजर में उषा में छिपी प्रतिभा को पहचान लिया। वो जान गए कि ये लड़की देश का गौरव बढ़ा सकती है। इसके बाद ओ. ऍम. नम्बियार ने उषा को अच्छा प्रशिक्षण देना शुरू किया। लगातार प्रयास से उषा अब इस काबिल हो चुकी थीं कि वह ओलम्पिक में भाग ले सकें।*



*ओलम्पिक में गौरवमयी प्रदर्शन*


*लोगों को कुछ अच्छा करने में सालों लग जाते हैं लेकिन गांव की दुबली पतली लड़की उषा रुकने का नाम नहीं ले रही थी। मात्र 1 साल की कठिन मेहनत के बाद ही उषा इस काबिल हो चुकीं थीं कि ओलम्पिक में देश की अगुवाई कर सकें। 1980 में उषा ने मास्को ओलम्पिक में भाग लिया लेकिन पहली बार में वो ज्यादा सफल नहीं हो पायीं। ये पहला ओलम्पिक उनके लिए कुछ खास नहीं रहा। लेकिन कोच ओ. ऍम. नम्बियार ने भी हार नहीं मानी और उषा को और निखारने का काम शुरू कर दिया*


*1982 में फिर से उषा ओलम्पिक में भारत की ओर से खेलीं और इस बार उषा ने हर भारतीय का मस्तक गर्व से ऊँचा कर दिया। अपने चमत्कारी प्रदर्शन की बदौलत उषा ने 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीते। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर उषा ने कई बार अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को कई बार दोहराया। लोगों को ये जान के विश्वास ही नहीं होता था कि भारत की दुबली पतली उषा ओलंपिक में सेमीफ़ाइनल की रेस जीतकर अन्तिम दौड़ में पहुँच सकती हैं। 1984 के लांस एंजेल्स ओलंपिक खेलों में भी चौथा स्थान प्राप्त किया था। यह गौरव पाने वाली वे भारत की पहली महिला धाविका हैं।*



*बनीं एशिया की सर्वश्रेष्ठ धाविका*


*उषा का एक के बाद एक कमाल का प्रदर्शन जारी रहा। जकार्ता की एशियन चैंम्पियनशिप में उषा ने स्वर्ण पदक जीतकर ये साबित कर दिया कि उनसे बेहतर कोई नहीं। ‘ट्रैक एंड फ़ील्ड स्पर्धाओं’ में उषा ने 5 स्वर्ण पदक और एक रजक पदक जीता और बन गयीं “एशिया की सर्वश्रेष्ठ धाविका”। समस्त दुनियां के खेल विशेषज्ञ और खेल देखने वाले लोग उस समय हैरान रह गए जब कुवैत में एशियाई ट्रैक और फ़ील्ड प्रतियोगिता में एक नए एशियाई कीर्तिमान के साथ उन्होंने 400 मीटर में स्वर्ण पदक जीता।*



*P T Usha की उपलब्धियां*


*पी. टी. उषा की उपलब्धियों को एक लेख में लिखना तो सम्भव ना हो सकेगा। सैकड़ों बार उन्होंने देशवासियों को गौरवान्वित महसूस कराया। उषा ने अब तक 101 अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। 1985 में उन्हें पद्म श्री व अर्जुन पुरस्कार दिया गया।*



*दुनिया उसे ही याद रखती है, जो विजेता होता है। हारने वाले को कोई याद नहीं रखता।*


*🎂🎂"Happy Birthday" PT Usha🎂🎂*



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INSPIRATION

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*🎗️🌺🎍 प्रेरणा🎍🌺🎗️* 


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*✨हज़ार टुकड़े होने पर भी दर्पण अपने प्रतिबिम्ब दिखाने की 💫क्षमता को नहीं खोता है। ऐसे ही किसी भी परिस्थिति में हमें अपने अंतर्निहित अच्छे स्वभाव को नहीं खोना चाहिए और न ही उसे प्रतिबिंबित करने की क्षमता को।🌴*


*🔹आज से हम🔹*

*✨अपनी अच्छाई को कभी ना खोयें...*


*🛑 INSPIRATION🛑* 


*🎗️The mirror never loses its ability to reflect, even if it's broken into a thousand pieces. Likewise, we should never lose our inherent good nature and the ability to reflect it, whatever be the situation!✨*


*❇️TODAY ONWARDS LET'S❇️*

*🌺never lose the goodness in us.✨*


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प्रेरक प्रसंग 💫


 प्रेरक प्रसंग 💫


        *!! परोपकार का फल !!*

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एक बार एक गाँव में कुछ ग्रामीण मिलकर एक सांप को मार रहे थे, तभी उसी रस्ते से संत एकनाथ का निकलना हुआ| भीड़ को देख संत एकनाथ भी वहां आ पहुंचे, बोले – भाइयों इस प्राणी को क्यों मार रहे हो, कर्मवश सांप होने से क्या यह भी तो एक आत्मा है| तभी भीड़ में खड़े एक युवक ने कहा – “आत्मा है तो फिर काटता क्यों है ?” व्यक्ति की बात सुनकर संत एकनाथ ने कहा – तुम लोग सांप को बेवजह मरोगे तो वह भी तुम्हे कटेगा ही, अगर तुम सांप को नहीं मरोगे तो वह भी तुम्हें क्यों काटेगा| ग्रामीण संत एकनाथ का काफी आदर सम्मान करते थे इसलिए संत की बात सुनकर लोगों ने सांप को छोड़ दिया।


कुछ दिनों बाद एकनाथ शाम के वक़्त घाट पर स्नान करने जा रहे थे| तभी उन्हें रास्ते में सामने फन फैलाए एक सांप दिखाई दिया| संत एकनाथ ने सांप को रास्ते से हटाने की काफी कोशिश की लेकिन वह टस से मस न हुआ| आखिर में एकनाथ मुड़कर दुसरे घाट पर स्नान करने चले गए| उजाला होने पर लौटे तो देखा, बरसात के कारण वहां एक गड्डा हो गया था, अगर सांप ने ना बचाया होता तो संत एकनाथ उस गड्ढे में कब के समां चुके होते|


*शिक्षा :-*

इसीलिए कहा गया है- दया और परोपकार हमेशा अच्छे फल लेकर ही आते हैं।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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शनिवार, 26 जून 2021

चतुर किसान

 

English 


smart farmer


Once a farmer was standing on the bank of a river with a goat, a bunch of grass and a lion. He had to cross the river by boat but the boat was too small that he could not cross at once with all his belongings. If he takes the lion first and leaves him across the river, here the goat will eat the grass and if he takes the grass across the river first, the lion will eat the goat.


Finally he found a solution. He first took the goat along and left it across the river in a boat. After this, in the second round, he left the lion across the river but while returning he brought the goat back with him.


This time he left the goat on this side and left the herd of grass to the lion on the other side. After this he again brought the boat and took the goat as well.


Thus, he crossed the river and did not suffer any loss.


Hindi



चतुर किसान


एक बार एक किसान एक बकरी, घास का एक गट्टर और एक शेर को लिए नदी के किनारे खड़ा था। उसे नाव से नदी पार करनी थी लेकिन नाव बहुत छोटी थी कि वह सारे सामान समेत एक बार में पार नहीं जा सकता था। वह अगर शेर को पहले ले जाकर नदी पार छोड़ आता है तो इधर बकरी घास खा जाएगी और अगर घास को पहले नदी पार ले जाता है तो शेर बकरी को खा जाएगा।

अंत में उसे एक समाधान सूझ गया। उसने पहले बकरी को साथ में लिया और नाव में बैठकर नदी के पार छोड़ आया। इसके बाद दूसरे चक्कर में उसने शेर को नदी पार छोड़ दिया लेकिन लौटते समय बकरी को फिर से साथ ले आया।

इस बार वह बकरी को इसी तरफ छोड़कर घास के गडर को दूसरी ओर शेर के पास छोड़ आया। इसके बाद वह फिर से नाव लेकर आया और बकरी को भी ले गया।

इस प्रकार, उसने नदी पार कर ली और उसे कोई हानि भी नहीं हुई।

प्रेरक प्रसंग

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*🌼🌼प्रेरक प्रसंग🌼🌼* 


 🎗️🌺!! *नजरिया अपना-अपना* !!🌺🎗️


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*मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे, तभी पीछे से दो बच्चों के आपस में झगड़ा करने की आवाज़ आने लगी। “क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे  हो ?” मास्टर जी ने पूछा। राहुल : सर, अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरी सुनने को तैयार ही नहीं है। अमित : नहीं सर, राहुल जो कह रहा है वह बिलकुल गलत है इसलिए उसकी बात सुनने से कोई फायदा नही। और ऐसा कह कर वे फिर तू-तू मैं-मैं करने लगे। मास्टर जी ने पास आने का इशारा कहा,”तुम दोनों यहाँ मेरे पास आओ।”*


*अगले ही पल दोनो परस्पर व्यंगात्मक भाव लिए मास्टर जी की टेबल पर पँहुच गए। मास्टर जी ने दोनों छात्रों को अपनी टेबल के दाएं बाएं बैठने को कहा। अब शेष छात्रों को सम्बोधित करते हुए बोले, ”Fingure On The Lips. सभी छात्र पूर्ण शान्ति से बैठे रहें।” कक्षा में पूर्ण सन्नाटा छा गया सभी छात्रों की कौतुक नजरें मास्टर जी की तरफ। “जब तक ये दोनों छात्र यँहा मेरे पास हैं तब तक आप में से कोई छात्र कुछ नहीं बोलेगा।”मास्टर जी ने एक बार पुनः अपना आदेश दोहराया।*


*अब मास्टर जी ने कवर्ड से एक बड़ी सी गेंद निकाली और अपनी टेबल  के बीचो-बीच रख दी। मास्टर जी ने अपनी दायीं ओर बैठे राहुल से पूछा, “बताओ,यह गेंद किस रंग की है। राहुल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,” जी यह सफ़ेद रंग की है।” मास्टर जी ने वही प्रश्न बाएं ओर के अमित से भी पूछा,”तुम बताओ यह गेंद किस रंग की है? अमित पूर्ण विश्वास के साथ बोला,”जी काली है।” दोनों छात्र  अपने जवाब को लेकर पूरी तरह कॉंफिडेंट थे। अब फिर दोनों ने गेंद के रंग को लेकर  बहस शुरू कर दी।*


*मास्टर जी ने उन्हें शांत कराते हुए कहा,”अब तुम दोनों अपना अपना स्थान बदल लो और फिर बताओ की गेंद किस रंग की है ?” कक्षा के शेष छात्र कौतुक दृष्टि से तमाशा देख रहे थे। अमित अब दायीं ओर जबकि राहुल बाईं ओर आ गया था। इस बार उनके जवाब भी बदल चुके थे।राहुल ने गेंद का रंग काला तो अमित ने सफ़ेद बताया। मास्टर जी ने दोनों को अपनी अपनी सीट पर भेज कर गंभीर स्वर में कहा ,” बच्चों! यह गेंद दो रंगो से बनी है और जिस तरह यह एक जगह से देखने पर काली और दूसरी जगह से देखने पर सफ़ेद दिखाई देती है।*


*उसी प्रकार हमारे जीवन में भी हर एक चीज को अलग अलग दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। ज़रूरी नहीं कि  जिस तरह से आप किसी चीज को देखते हैं उसी तरह दूसरा भी उसे देखे..इसलिए*

 *यदि कभी हमारे बीच विचारों को लेकर मतभेद हो तो यह ना सोचें कि सामने वाला बिलकुल गलत है बल्कि चीजों को उसके नज़रिये से देखने और उसे अपना नजरिया समझाने का प्रयास करें। तभी आप एक अर्थपूर्ण संवाद कर सकते हैं।”*

*सभी छात्रों ने करतल ध्वनि से मास्टर जी की बात का समर्थन किया।*


*शिक्षा* :-

 *आईये उक्त कथा से सीख लेते हुए हम भी एक दूसरे के नज़रिए को समझ कर अपने बीच उपजी संवादहीनता को दूर करने का प्रयास करें क्योंकि संवाद ही एकमात्र वह प्रक्रिया है जो हमारी गलतवहमी को दूर कर आपसी रिश्तों को मजबूत बनाती है।*

💫 प्रेरक प्रसंग 💫


*💫  प्रेरक प्रसंग 💫*


             *!! चोर बना महात्मा !!*

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एक बार एक चोर जब मरने लगा तो उसने अपने बेटे को बुलाकर एक नसीहत दी:-” अगर तुझे चोरी करनी है तो किसी गुरुद्वारा, धर्मशाला या किसी धार्मिक स्थान में मत जाना बल्कि इनसे दूर ही रहना और दूसरी बात अगर कभी पकड़े जाओ, तो यह मत स्वीकार करना कि तुमने चोरी की है, चाहे कितनी भी सख्त मार पड़े|”


चोर के लड़के ने कहा:- “सत्य वचन”| इतना कहकर वह चोर मर गया और उसका लड़का रोज रात को चोरी करता रहा|


एक बार उस लड़के ने चोरी करने के लिए किसी घर के ताले तोड़े, लेकिन घर वाले जाग गए और उन्होंने शोर मचा दिया| आगे पहरेदार खड़े थे| उन्होंने कहा:- “आने दो, बच कर कहां जाएगा”? एक तरफ घरवाले खड़े थे और दूसरी तरफ पहरेदार|


अब चोर जाए भी तो किधर जाए| वह किसी तरह बच कर वहां से निकल गया| रास्ते में एक धर्मशाला पड़ती थी| धर्मशाला को देखकर उसको अपने बाप की सलाह याद आ गई कि धर्मशाला में नहीं जाना| लेकिन वह अब करे भी तो क्या करे ? उसने यह सही मौका देख कर वह धर्मशाला में चला गया| जहाँ सत्संग हो रहा था। 


वह बाप का आज्ञाकारी बेटा था, इसलिए उसने अपने कानों में उंगली डाल ली जिससे सत्संग के वचन उसके कानों में ना पड़ जाए| लेकिन आखिरकार मन अडियल घोड़ा होता है, इसे जिधर से मोड़ो यह उधर नही जाता है| कानों को बंद कर लेने के बाद भी चोर के कानों में यह वचन पड़ गए कि देवी देवताओं की परछाई नहीं होती| उस चोर ने सोचा की परछाई हो या ना हो इस से मुझे क्या लेना देना|


घर वाले और पहरेदार पीछे लगे हुए थे| किसी ने बताया कि चोर, धर्मशाला में है| जांच पड़ताल होने पर वह चोर पकड़ा गया| 


पुलिस ने चोर को बहुत मारा लेकिन उसने अपना अपराध कबूल नहीं किया| उस समय यह नियम था कि जब तक मुजरिम, अपराध ने स्वीकार कर ले तो सजा नहीं दी जा सकती|


उसे राजा के सामने पेश किया गया वहां भी खूब मार पड़ी, लेकिन चोर ने वहां भी अपना अपराध नहीं माना| वह चोर देवी की पूजा करता था। इसलिए पुलिस ने एक ठगिनी को सहायता के लिए बुलाया| ठगिनी ने कहा कि मैं इसको मना लूंगी| उसने देवी का रूप भर कर दो नकली बांहें लगाई, चारों हाथों में चार मशाल जलाई और नकली शेर की सवारी की|


क्योंकि वह पुलिस के साथ मिली हुई थी इसलिए जब वह आई तो उसके कहने पर जेल के दरवाजे कड़क कड़क कर खुल गए| जब कोई आदमी किसी मुसीबत में फंस जाता है तो अक्सर अपने इष्ट देव को याद करता है| इसलिए चोर भी देवी की याद में बैठा हुआ था कि अचानक दरवाजा खुल गया और अंधेरे कमरे में एकदम रोशनी हो गई|


देवी ने खास अंदाज में कहा:-” देख भक्त! तूने मुझे याद किया और मैं आ गई| तूने बड़ा अच्छा किया कि तुमने अपना अपराध स्वीकार नहीं किया| अगर तू ने चोरी की है तो मुझे सच-सच बता दे| मुझसे कुछ भी मत छुपाना| मैं तुम्हें फौरन आजाद करवा दूंगी|”


चोर, देवी का भक्त था| अपने इष्ट को सामने खड़ा देखकर बहुत खुश हुआ और मन में सोचने लगा कि मैं देवी को सब सच सच बता दूंगा| वह बताने को तैयार ही हुआ था कि उसकी नजर देवी की परछाई पर पड़ गई| उसको फौरन सत्संग का वचन याद आ गया कि देवी देवताओं की परछाई नहीं होती| उसने देखा कि इसकी तो परछाई है वह समझ गया कि यह देवी नहीं बल्कि मेरे साथ कोई धोखा है|


वह सच कहते कहते रुक गया और बोला:-“ मां! मैंने चोरी नहीं की| अगर मैंने चोरी की होती तो क्या आपको पता नहीं होता| जेल के कमरे के बाहर बैठे हुए पहरेदार चोर और ठगनी की बातचीत नोट कर रहे थे| उनको और ठगिनी को विश्वास हो गया कि यह चोर नहीं है|


अगले दिन उन्होंने राजा से कह दिया कि यह चोर नहीं है| राजा ने उस को आजाद कर दिया| जब चोर आजाद हो गया तो सोचने लगा कि सत्संग का एक वचन सुनकर मैं जेल से छूट गया हूं| अगर मैं अपनी सारी जिंदगी सत्संग सुनने में लगाऊं तो मेरा तो जीवन ही बदल जाएगा| अब वह प्रतिदिन सत्संग में जाने लगा और चोरी का धंधा छोड़ कर महात्मा बन गया|


*शिक्षा:-*

कलयुग में सत्संग ही सबसे बड़ा तीर्थ है।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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*घर में इन गलतियों की वजह से होती है धन- हानि, नहीं रुकता है पैसा..!

 *घर में इन गलतियों की वजह से होती है धन- हानि, नहीं रुकता है पैसा..!!*

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✍धन की आवश्यकता हर किसी को होती है, धन कमाने के लिए हर कोई कड़ी से कड़ी मेहनत करता है, लेकिन कई बार मेहनत करने के बाद भी धन की प्राप्ति नहीं होती है ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में कुछ गलतियों की वजह से भी धन की हानि होती है और घर का माहौल खराब होने लगता है, इन गलतियों की वजह से घर में नकारात्मकता का वास हो जाता है, जिस वजह से तरक्की में रुकावट आ जाती है, आइए जानते हैं घर में किन गलतियों की वजह से धन- हानि होती है.....


*घर में बंद पड़ी घड़ी की वजह से:-* 

वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में बंद घड़ी की वजह से नकारात्मकता आती है। घर में बंद पड़ी घड़ी नहीं रखनी चाहिए। अगर आपके घर में भी बंद पड़ी घड़ी है तो उसे तुरंत ठीक करवा लें या घर से बाहर कर दें।


*घर में सूखे पौधे होने की वजह से:-* 

वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में सूखे पौधे नहीं रखने चाहिए। सूखे पौधों की वजह से घर का वातावरण खराब होता है। घर में पौधे रखें लेकिन उन्हें सूखने न दें। उनकी अच्छी तरह से देखभाल करें।


*घर में पानी की बर्बाद न होने दें:-* 

कई घरों में अनावश्यक रूप से पानी की बर्बादी होती रहती है, जैसे- नल से लगातार पानी का टपकना, अगर आपके घर में भी ऐसा होता है तो वास्तुशास्त्र के अनुसार इसे अशुभ माना जाता है, नल को ठीक करवा लें। जिस घर में ऐसा होता है वहां धन- हानि होने की संभावना होती है।


*घर में साफ- सफाई का ध्यान रखें:-* 

वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में साफ- सफाई न रखने की वजह से भी धन- हानि होती है, घर में साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी मां लक्ष्मी का वास उसी घर में होता है जहां साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।


*जिस घर में पूजा नहीं होती है:-* 

वास्तुशास्त्र के अनुसार जिस घर में पूजा- अर्चना नहीं होती है वहां पर नकारात्मकता का वास हो जाता है, घर में पूजा-अर्चना करनी चाहिए। 

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शुक्रवार, 25 जून 2021

*🌼🌼प्रेरक प्रसङ्ग🌼🌼* *🎗️🌺!! एक रुपये का सिक्का !!🌺🎗️*

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*🌼🌼प्रेरक प्रसङ्ग🌼🌼*


*🎗️🌺!! एक रुपये का सिक्का !!🌺🎗️*


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*एक ब्राह्मण व्यक्ति सुबह उठकर मंदिर की ओर जा रहा था। वहां उसे रास्ते में ₹1 का सिक्का मिलता है। वह ब्राह्मण के मन में विचार आता है कि यह ₹1 रुपये में किसी दरिद्र को दे देता हु। वह पूरे नगर में ढूंढता है उसे कोई दरिद्र और भिखारी नहीं मिलता है। हर रोज की तरह सुबह ब्राह्मण मंदिर की ओर प्रस्थान करते है। वहां उसे एक राजा दिखाई देता है वह बहुत बड़ी सेना लेकर दुसरे नगर में जाता रहता है। राजा जैसे ब्राह्मण व्यक्ति को देखता है उसे प्रमाण करता है और कहता है की महात्मा मैं युद्ध करने जा रहा हूं, आप मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं दूसरे नगर के राज्यों को भी जीत सकूं।*


*यह सुनते ही ब्राह्मण व्यक्ति ₹1 का सिक्का राजा के हाथ में थमा देता है। राजा आश्चर्यचकित हो जाता और पूछता है कि आपने यह ₹1 का सिक्का मेरे हाथ में क्यों थमाया ? ब्राह्मण व्यक्ति उत्तर देते हुए कहते हैं कि, मैं कई दिनों से कोई दरिद्र व्यक्ति ढूंढ रहा हूं जिसे ₹1रुपय दे सकूं। पूरे नगर में ऐसा कोई दरिद्र और भिखारी व्यक्ति नहीं मिला जिसे में एक रुपये दे सकता हूं। सिर्फ और सिर्फ आप ही मुझे ऐसे दरिद्र व्यक्ति मिले जिनके पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है जिसकी अपेक्षा हमेशा अधिक से अधिक पाने की रहती है। इसलिए मैं यहां ₹1 का सिक्का आपको देना चाहता हूं क्योंकि जो दरिद्र व्यक्ति की तलाश में था वह साक्षत मेरे सामने खड़ा है। यह सुनकर राजा का मस्तिष्क शर्म से झुक जाता है और वह अपनी सेना को वापस जाने का आदेश देता है।*


*निष्कर्ष :-*

*इस प्रसंग से सिख मिलती है की इंसान को कुछ पाने की जिद होनी चाहिए वह बहुत अच्छी बात है। पर आज कल व्यक्ति की इतनी तीव्र इच्छा होने के कारण मन में विचार आता है तेरे जेब का पैसा मेरे जेब में कैसा ऐसे स्वार्थी सोच में रहता है ! यह बिलकुल भी अच्छी बात नहीं है। फलस्वरूप : उसे सब कुछ मिलने के बाद भी वह दुखी रहता है क्योंकि उसकी इच्छा कभी खत्म नहीं होती।*


*😍😍सदैव प्रसन्न रहे😍😍*

*👍👍जो प्राप्त है, पर्याप्त है👍👍*


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प्रेरणा

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*❇️प्रेरणा❇️*


*जब हमारी सोच, बोल और कर्म में समानता और सकारात्मकता आ जाती है तो खुशी हमें स्वतः ही प्राप्त होती है।*


👉 *आज से हम* *अपने सोच, बोल और कर्म में समानता और सकारात्मकता लाएँ...*


*🔷 INSPIRATION 🔶*


*Happiness is when, what you think, what you say, and what you do are in harmony and positive!*


👉 *TODAY ONWARDS LET'S* *make harmony and positivity among our thoughts, words and actions...*


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प्रेरक प्रसंग



*💫प्रेरक प्रसंग 💫*

            *!! सुंदरता !!*

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एक सभा में गुरु जी ने प्रवचन के दौरान एक 30 वर्षीय युवक को खड़ा कर पूछा कि- आप मुम्बई में जुहू चौपाटी पर चल रहे हैं और सामने से एक सुन्दर लड़की आ रही है तो आप क्या करोगे?


युवक ने कहा- उस पर नजर जायेगी, उसे देखने लगेंगे। गुरु जी ने पूछा- वह लड़की आगे बढ़ गयी तो क्या पीछे मुड़कर भी देखोगे ? लडके ने कहा - हाँ, अगर धर्मपत्नी साथ नहीं है तो। (सभा में सभी हँस पड़े)


गुरु जी ने फिर पूछा- जरा यह बताओ वह सुन्दर चेहरा आपको कब तक याद रहेगा ? युवक ने कहा 5 - 10 मिनट तक, जब तक कोई दूसरा सुन्दर चेहरा सामने न आ जाए। गुरु जी ने उस युवक से कहा - अब जरा सोचिए,

आप जयपुर से मुम्बई जा रहे हैं और मैंने आपको एक पुस्तकों का पैकेट देते हुए कहा कि मुम्बई में अमुक महानुभाव के यहाँ यह पैकेट पहुँचा देना। आप पैकेट देने मुम्बई में उनके घर गए। उनका घर देखा तो आपको पता चला कि ये तो बडे अरबपति हैं। घर के बाहर 10 गाडियाँ और 5 चौकीदार खडे हैं। आपने पैकेट की सूचना अन्दर भिजवाई तो वे महानुभाव खुद बाहर आए। आप से पैकेट लिया। आप जाने लगे तो आपको आग्रह करके घर में ले गए। पास में बैठकर गरम खाना खिलाया। जाते समय आप से पूछा - किसमें आए हो ? आपने कहा- लोकल ट्रेन में। उन्होंने ड्राइवर को बोलकर आपको गंतव्य तक पहुँचाने के लिए कहा और आप जैसे ही अपने स्थान पर पहुँचने वाले थे कि उस अरबपति महानुभाव का फोन आया - भैया, आप आराम से पहुँच गए।


अब आप बताइए कि आपको वे महानुभाव कब तक याद रहेंगे ?

युवक ने कहा - गुरु जी ! जिंदगी में मरते दम तक उस व्यक्ति को हम भूल नहीं सकते। गुरु जी ने युवक के माध्यम से सभा को संबोधित करते हुए कहा "यह है जीवन की हकीकत।"


*शिक्षा:-*

*"सुन्दर चेहरा थोड़े समय ही याद रहता है, पर हमारा सुन्दर व्यवहार जीवन भर याद रहता है।"*


बस यही है जीवन का गुरु मंत्र, अपने चेहरे और शरीर की सुंदरता से ज़्यादा अपने व्यवहार की सुंदरता पर ध्यान दें, जीवन आनंददायक बन जाएगा..!!

 

*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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गुरुवार, 24 जून 2021

प्रेरक प्रसङ्ग

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*🌷🌷😊😊🌷🌷*


*🌼🌼🌼🌼*


 *🎗️✨!! कभी-कभी सोचने से !!✨🎗️*

*🌺🎍!! भी जबाव मिल जाता हैं !!🎍🌺*


*✨"ज्यादा सोचने वाले लोगों के लिए रोचक कहानी"🌴*


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*एक गांव में एक आदमी रहता था, जो ताले तोड़ने के मामले में एक्सपर्ट था, यानी कि जहां कहीं भी ताले तोड़ने की बात आती थी या लॉक को खोलने की बात आती थी, तो उसका नाम सबसे पहले लिया जाता था। एक दिन कुछ समझदार लोगों ने उसकी परीक्षा लेनी चाही और उसको बता दिया गया कि आपको इस जगह पर इस तारीख को आना है और ताले को तोड़ना है। जब वह समय के अनुसार तय दिनांक को वहां पहुंच गया, तो उसको प्रतियोगिता के नियम समझा दिए गए।*


*आपको एक बॉक्स में बिठा दिया जाएगा और उस बॉक्स को पानी में उतार दिया जाएगा। आपको ताला खोल कर बाहर आना होगा इस बीच अगर आपको लगता है कि Lock मेरे से नहीं खुल पाएगा तो, आप इमरजेंसी बटन को दबा सकते हैं और ऊपर आ सकते हैं, लेकिन इस कंडीशन में आप प्रतियोगिता में हार जाएंगे, उसने सभी नियमों की हां कर दी और पानी में चला गया। जैसे ही वह पानी में पहुंचा तो उसने जेब में से एक तार निकाला और Lock को खोलने की कोशिश करने लगा।*


*4 से 5 बार कोशिश करने के बाद वह बार बार विफल हो रहा था। लेकिन उससे लॉक नहीं खुल रहा था अब ज्यादा समय तक पानी में रहना उसके लिए और भी मुश्किल था क्योंकि सांस रोकना आसान नहीं था। फाइनली उसने अपना पूरा दिमाग लगाया और एक बार और अंतिम प्रयास किया। वह विफल हुआ और उसने इमरजेंसी बटन दबा दिया धीरे-धीरे ऊपर आने लगा, पानी के ऊपर आये बॉक्स को बाहर निकाला गया और हल्का सा धक्का देकर खोला गया, वह अचंभित हो गया।*


*कि एक बार भी मेरे दिमाग में यह ख्याल क्यों नहीं आया कि मैं इसको धक्का देकर खोलूँ ,*

*हो सकता है कि ये लॉक ही ना हो। तो यही होता है,जब हम भी बहुत ज्यादा सोचते हैं,तो इसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ता है। कभी कभी ना सोचने से भी जवाब मिल जाता है। इसलिए किसी ने कहा है कि, "जो कुछ नहीं करते वह कमाल करते हैं' जी हां दोस्तों यह बात बिल्कुल सही है, कभी कभी दिमाग को जब हम शांत रखते हैं और ठंडे दिमाग से सोचने की कोशिश करते हैं तो हमें बेहतर समाधान मिल जाता है।*



*शिक्षा:-*

*किसी ने कहा है कि, "जो कुछ नहीं करते वह कमाल करते हैं' जी हां दोस्तों यह बात बिल्कुल सही है, कभी कभी दिमाग को जब हम शांत रखते हैं और ठंडे दिमाग से सोचने की कोशिश करते हैं तो हमें बेहतर समाधान मिल जाता है। हर जगह ज्यादा दिमाग नहीं लगाकर दिमाग से सोचना भी चाहिए।*


*😍😍सदैव प्रसन्न रहे😍😍*

*👍👍जो प्राप्त है,पर्याप्त है👍👍*


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प्रेरणा

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J *🎗️🌺प्रेरणा🌺🎗️*


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*✨"दुनिया में सबसे ताकतवर इंसान वह होता है जो धोखा खाकर भी लोगों की मदद करना नहीं छोड़ता।"✨*


*🔹आज से हम🔹*

*🎗️दूसरों की मदद करते रहें...*


*🛑 INSPIRATION🛑* 


*🎍One who doesn't cease to help others despite being deceived is the strongest person in the world!💫*


*❇️TODAY ONWARDS LET'S❇️*

*🎗️continue to help others.🌴*


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Hindi Story

    *!! परोपकार का फल !!*

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एक बार एक गाँव में कुछ ग्रामीण मिलकर एक सांप को मार रहे थे, तभी उसी रस्ते से संत एकनाथ का निकलना हुआ| भीड़ को देख संत एकनाथ भी वहां आ पहुंचे, बोले – भाइयों इस प्राणी को क्यों मार रहे हो, कर्मवश सांप होने से क्या यह भी तो एक आत्मा है| तभी भीड़ में खड़े एक युवक ने कहा – “आत्मा है तो फिर काटता क्यों है ?” व्यक्ति की बात सुनकर संत एकनाथ ने कहा – तुम लोग सांप को बेवजह मरोगे तो वह भी तुम्हे कटेगा ही, अगर तुम सांप को नहीं मरोगे तो वह भी तुम्हें क्यों काटेगा| ग्रामीण संत एकनाथ का काफी आदर सम्मान करते थे इसलिए संत की बात सुनकर लोगों ने सांप को छोड़ दिया।


कुछ दिनों बाद एकनाथ शाम के वक़्त घाट पर स्नान करने जा रहे थे| तभी उन्हें रास्ते में सामने फेन फैलाए एक सांप दिखाई दिया| संत एकनाथ ने सांप को रास्ते से हटाने की काफी कोशिश की लेकिन वह टस से मस न हुआ| आखिर में एकनाथ मुड़कर दुसरे घाट पर स्नान करने चले गए| उजाला होने पर लौटे तो देखा, बरसात के कारण वहां एक गड्डा हो गया था, अगर सांप ने ना बचाया होता तो संत एकनाथ उस गड्ढे में कब के समां चुके होते|


*शिक्षा :-*

इसीलिए कहा गया है, दया और परोपकार हमेशा अच्छे फल लेकर ही आते हैं।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*

✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️

बुधवार, 23 जून 2021

Hindi Story


 मक्खी का लालच

एक बार एक व्यापारी अपने ग्रहक को शहद बेच रहा था। तभी अचानक व्यापारी के हाथ से फिसलकर शहद का बर्तन गिर गया । बहुत सा शहद भूमि पर बीखर गया | जितना शहद ऊपर ऊपर से उठाया जा सकता था उतना व्यापारी ने उठा लिया । परन्तु कुछ शहद फिर भी ज़मीन पर गिरा रह गया ।

कुछ ही देर में बहुत सी मक्खियाँ उस ज़मीन पर गिरे हुए शहद पर आकर बैठ गयीं। मीठा मीठा शहद उन्हें बड़ा अच्छा लगा । वह जल्दी-जल्दी उसे चाटने लगीं। जब तक उनका पेट भर नहीं गया वह शहद चाटती रहीं ।

जब मक्खियों का पेट भर गया और उन्होने उड़ना चाहा, तो वह उड़ ना सकीं। क्योंकि उनके पंख शहद में चिपक गए थे । उड़ने के लिए उन्होने बहुत कोशिश की परन्तु वह फिर भी उड़ ना पायीं। वह जितना छटपटाती उनके पंख उतने चिपकते जाते। उनके सारे शरीर में शहद लगता जाता ।

काफी मक्खियाँ शहद में लोट-पोट होकर मर गाय । बहुत सी मक्खियाँ पंख चिपकने से छट पटा रहीं थीं। परन्तु तब भी नई मक्खियाँ शहद के लालच में वहाँ आती रहीं। मरी और छट पटाती मक्खियों को देखकर भी वह शहद खाने का लालच नहीं छोड़ पाई

मक्खियों की दुर्गति और मूर्खता देखकर व्यापारी बोला- जो लोग जीभ के स्वाद के लालच में पड़ जाते है, वह इन मक्खियों के समान ही मूर्ख होते हैं। स्वाद के थोड़ी देर के सुख उठाने के लालच में वह अपने स्वास्थ को नष्ट कर देते हैं। रोगी बनकर तड़पते है और जल्द ही मर जाते हैं।

Thank you ✍️🙂

भला आदमी (Story)



            *!! भला आदमी !!*

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एक बार एक धनी पुरुष ने एक मंदिर बनवाया | मंदिर में भगवान की पूजा करने के लिए एक पुजारी | मंदिर के खर्च के लिए बहुत सी भूमि, खेत और बगीचे मंदिर के नाम लगाएं | उन्होंने ऐसा प्रबंध किया था कि जो मंदिरों में भूखे, दीन दुखी या साधु-संतों आवे, वे वहां दो-चार दिन ठहर सके और उनको भोजन के लिए भगवान का प्रसाद मंदिर से मिल जाया करे | अब उन्हें एक ऐसे मनुष्य की आवश्यकता हुई जो मंदिर की संपत्ति का प्रबंध करें और मंदिर के सब कामों को ठीक-ठीक चलाता रहे !


बहुत से लोग उस धनी पुरुष के पास आए | वे लोग जानते थे कि यदि मंदिर की व्यवस्था का काम मिल जाए तो वेतन अच्छा मिलेगा | लेकिन उस धनी पुरुष ने सबको लौटा दिया | वह सब से कहता था – ‘ मुझे एक भला आदमी चाहिए, मैं उसको अपने आप छाट लूंगा |’


बहुत से लोग मन ही मन में उस धनी पुरुष को गालियां देते थे | बहुत लोग उसे मूर्ख या पागल बतलाते थे | लेकिन वह धनी पुरुष किसी की बात पर ध्यान नहीं देता था | जब मंदिर के पट खुलते थे और लोग भगवान के दर्शन के लिए आने लगते थे तब वह धनी पुरुष अपने मकान की छत पर बैठकर मंदिर में आने वाले लोगों को चुपचाप देखता रहता था |


एक दिन में एक मनुष्य मंदिर में दर्शन करने आया | उसके कपड़े मैले और फटे हुए थे वह बहुत पढ़ा लिखा भी नहीं जान पड़ता था | जब वह भगवान का दर्शन करके जाने लगा तब धनीपुर उसने अपने पास बुलाया और कहा – ‘ क्या आप इस मंदिर की व्यवस्था संभालने का काम करेंगे ?’

वह मनुष्य बड़े आश्चर्य में पड़ गया | उसने कहा – ‘मैं तो बहुत पढ़ा लिखा नहीं हूं मैं इतने बड़े मंदिर का प्रबंध कैसे कर सकूंगा ?’


धनी पुरुष ने कहा – ‘मुझे बहुत विद्वान नहीं चाहिए मैं तो एक भले आदमी को मंदिर का प्रबंधक बनाना चाहता हूं |’


उस मनुष्य ने कहा – ‘आपने इतने मनुष्य में मुझे ही क्यों भला आदमी माना |’


धनी पुरुष बोला – ‘मैं जानता हूं कि आप भले आदमी हैं | मंदिर के रास्ते में एक ईंट का टुकड़ा गड़ा रह गया था और उसका एक कौना ऊपर निकला था मैं उधर से बहुत दिनों से देख रहा था कि उस मंदिर के टुकड़े की नोक से लोगों को ठोकर लगती थी लोग गिरते थे लुढ़कते थे और उठ कर चलते थे | आपको उस टुकड़े से ठोकर नहीं लगी किंतु आपने उसे देख कर ही उखाड़ देने का यतन किया मैं देख रहा था कि आप मेरे मजदूर से फावड़ा मांगकर ले गए और उस टुकड़े को खोदकर आपने वहां की भूमि भी बराबर कर दी |’


उस मनुष्य ने कहा – “यह तो कोई बात नहीं है रास्ते में पड़े कांटे, कंकड़ और पत्थर लगने योग्य पत्थर, ईटों को हटा देना तो प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है |’


धनी पुरुष ने कहा – ‘अपने कर्तव्यों को जानने और पालन करने वाले लोग ही भले आदमी होते हैं |’


वह मनुष्य मंदिर का प्रबंधक बन गया उसने मंदिर का बड़ा सुंदर प्रबंध किया |


*शिक्षा -*

"मित्रों! “हर मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए..!!"

 

*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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प्रेरक प्रसङ्ग

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*🌷🌷सुप्रभात 🌷🌷*


*🌼🌼 प्रेरक प्रसङ्ग🌼🌼*


*🎗️🌺!! अपनी क्षमता पहचानो !!🌺🎗️*


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*एक गाँव में एक आलसी आदमी रहता था. वह कुछ काम-धाम नहीं करता था. बस दिन भर निठल्ला बैठकर सोचता रहता था कि किसी तरह कुछ खाने को मिल जाये. एक दिन वह यूं ही घूमते-घूमते आम के एक बाग़ में पहुँच गया. वहाँ रसीले आमों से लदे कई पेड़ थे. रसीले आम देख उसके मुँह में पानी आ गया और आम तोड़ने वह एक पेड़ पर चढ़ गया. लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा, बाग़ का मालिक वहाँ आ पहुँचा. बाग़ के मालिक को देख आलसी आदमी डर गया और जैसे-तैसे पेड़ से उतरकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ।*


*भागते-भागते वह गाँव में बाहर स्थित जंगल में जा पहुँचा. वह बुरी तरह से थक गया था. इसलिए एक पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा. तभी उसकी नज़र एक लोमड़ी (Fox) पर पड़ी. उस लोमड़ी की एक टांग टूटी हुई थी और वह लंगड़ाकर चल रही थी. लोमड़ी को देख आलसी आदमी सोचने लगा कि ऐसी हालत में भी इस जंगली जानवरों से भरे जंगल में ये लोमड़ी बच कैसे गई? इसका अब तक शिकार कैसे नहीं हुआ? जिज्ञासा में वह एक पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ बैठकर देखने लगा कि अब इस लोमड़ी के साथ आगे क्या होगा?*


*कुछ ही पल बीते थे कि पूरा जंगल शेर (Lion) की भयंकर दहाड़ से गूंज उठा. जिसे सुनकर सारे जानवर डरकर भागने लगे. लेकिन लोमड़ी अपनी टूटी टांग के साथ भाग नहीं सकती थी. वह वहीं खड़ी रही. शेर लोमड़ी के पास आने लगा. आलसी आदमी ने सोचा कि अब शेर लोमड़ी को मारकर खा जायेगा. लेकिन आगे जो हुआ, वह कुछ अजीब था. शेर लोमड़ी के पास पहुँचकर खड़ा हो गया. उसके मुँह में मांस का एक टुकड़ा था, जिसे उसने लोमड़ी के सामने गिरा दिया. लोमड़ी इत्मिनान से मांस के उस टुकड़े को खाने लगी. थोड़ी देर बाद शेर वहाँ से चला गया.*


*यह घटना देख आलसी आदमी सोचने लगा कि भगवान सच में सर्वेसर्वा है. उसने धरती के समस्त प्राणियों के लिए, चाहे वह जानवर हो या इंसान, खाने-पीने का प्रबंध कर रखा है. वह अपने घर लौट आया. घर आकर वह 2-3 दिन तक बिस्तर पर लेटकर प्रतीक्षा करने लगा कि जैसे भगवान ने शेर के द्वारा लोमड़ी के लिए भोजन भिजवाया था. वैसे ही उसके लिए भी कोई न कोई खाने-पीने का सामान ले आएगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. भूख से उसकी हालात ख़राब होने लगी. आख़िरकार उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ा.*


*घर के बाहर उसे एक पेड़ के नीचे बैठे हुए बाबा दिखाए पड़े. वह उनके पास गया और जंगल का सारा वृतांत सुनाते हुए वह बोला, “बाबा जी! भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके पास जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध है. लेकिन इंसानों के लिए नहीं.” बाबा जी ने उत्तर दिया, “बेटा! ऐसी बात नहीं है. भगवान के पास सारे प्रबंध है. दूसरों की तरह तुम्हारे लिए भी. लेकिन बात यह है कि वे तुम्हें लोमड़ी नहीं शेर बनाना चाहते हैं.”*


*शिक्षा:–* 

*हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार है. बस अपनी अज्ञानतावश हम उन्हें पहचान नहीं पाते और स्वयं को कमतर समझकर दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा करते रहते हैं. स्वयं की क्षमता पहचानिए. दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा मत करिए. इतने सक्षम बनिए कि आप दूसरों की सहायता कर सकें*


*😍😍सदैव प्रसन्न रहे😍😍*

*👍👍जो प्राप्त है, पर्याप्त है👍👍*


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प्रेरणा

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         🔹 * प्रेरणा* 🔹

 

दुनिया में सबसे ताकतवर इंसान वह होता है जो धोखा खाकर भी लोगों की मदद करना नहीं छोड़ता।


*आज से हम* दूसरों की मदद करते रहें...


💧  INSPIRATION💧


One who doesn't cease to help others despite being deceived is the strongest person in the world!


*TODAY ONWARDS LET'S* continue to help others.


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मंगलवार, 22 जून 2021

*🐪अंतरराष्ट्रीय ऊँट दिवस-22 जून*🐪 🎀

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    *🐪अंतरराष्ट्रीय ऊँट दिवस-22 जून*🐪

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*#Jaisalmer: अंतरराष्ट्रीय ऊंट दिवस आज*


*रेत के समंदर में डूबने लगा रेगिस्तानी जहाज, संरक्षण के अभाव में असुरक्षित हैं राज्य पशु ऊंट, राज्य पशु ऊंट 5 साल में 35 प्रतिशत कम हुए, विश्व में तीसरे नंबर से दसवें स्थान पर आया भारत....*



*🐪अंतरराष्ट्रीय ऊंट दिवस:🐪अस्तित्व पर संकट के बादल, साधनों के कारण जिले में 21 साल में 57 हजार ऊंट घटे*


*ऊंटपालन के प्रति कम हो रहा पशुपालकों का रूझान,*


*रेगिस्तान में रेगिस्तान का जहाज ऊंट का अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इसकी वजह है साधनों का उपयोग बढ़ने के कारण ऊंटों का महत्व लगातार कम हो रहा है। किसी जमाने में आवागमन का साधन ऊंट ही थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में तेजी से वाहनों का प्रचलन बढ़ा है। ऐसे में ऊंटों का उपयोग भी कम होता जा रहा है।*


*पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 तक जिले में एक लाख ऊंट थे। बीते 21 सालों में ऊंटों की संख्या घटकर 43 हजार पहुंच गई है। यानी 57 हजार ऊंट कम हो गए हैं। वर्तमान में ऊंटों के संरक्षण एवं संवर्द्धन की आवश्यकता है। ऊंट पश्चिमी राजस्थान में महत्वपूर्ण पशु है। जिसके द्वारा विभिन्न कार्यों को अंजाम दिया जाता है। पहले यह खेती में काम आता था। पानी लाने में भी काम आता है।*


*रेगिस्तान में चिलचिलाती धूप में एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन के लिए ऊंट मुख्य साधन है। बहुत जगह जहां पर मानव निर्मित साधन नहीं पहुंच पाते थे वहां पर ऊंट पहुंच जाता है। ऊंट की महत्ता केवल यहां तक ही सीमित नहीं रही। बॉर्डर पर बीएसएफ के जवान ऊंटों से ही गश्त करते हैं।*


*इतना ही नहीं ऊंटनी के दूध का प्रयोग विभिन्न घातक बीमारियों को ठीक करने में भी काम में लिया जाता है। लेकिन समय के साथ- साथ आधुनिकीकरण की दौड़ में लोग इसके महत्व को भूलते जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय ऊंट दिवस पर ऊंटों के संरक्षण का संकल्प लेना होगा तभी गुम हो रही ऊंट प्रजाति को बचा सकेंगे।अगर इस पर अभी से विचार नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब ऊंट केवल चिड़ियाघर में दिखाई देगा।*


*(जैसा कि कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप पगारिया ने भास्कर को बताया)*



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प्रेरणा

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*🎗️✨🎍प्रेरणा🎍✨🎗️* 


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*🌺ज़िन्दगी एक आईने की तरह है... वो आपको देख के तब 😊मुस्कुराएगी जब आप उसे देखकर 😊मुस्कुरायेंगे।*


*🔹आज से हम🔹*

*🌴सदा अपनी ज़िंदगी से खुश रहें...*


*❇️ INSPIRATION❇️* 


*✨Life is like a mirror... It'll smile at you, if you smile at it!💫*


*🌺TODAY ONWARDS LET'S🌼*

 *✨always be happy with our life.🎗️*


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सामान्य ज्ञान📙📘

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     *🎊 सामान्य ज्ञान🎊*


*🚨⏰"विज्ञापनों में घड़ियां दस बजकर दस मिनट का वक्त ही क्यों दिखाती हैं?"⏰🚨*


वक्त की फितरत है, बदलना. अच्छे से बुरे वक्त में और बुरे से अच्छे में. वक्त अपनी खासियतों के साथ ही बदलता है, यानी अच्छा हो तो कब गुजर गया पता ही नहीं चलता. इसी तरह बुरा हो तो लाख दिलासे मिलते रहें कि यह वक्त भी गुजर जाएगा पर लगता है कि काटे नहीं कट रहा. लेकिन एक ठिया है जहां वक्त अक्सर ठहरा हुआ मिलता है और वक्त का वह ठिया खुद घड़ियां हैं. कैसी मजेदार सी बात है कि जिस घड़ी के घूमने पर दुनिया चक्कर लगाती है उसी घड़ी के ज्यादातर विज्ञापनों में उसके कांटे एक ही वक्त यानी 10 बजकर 10 मिनट पर अटके रहते हैं. तो अब सवाल है कि ऐसा क्यूं है?


🔮इन घड़ियों के हमेशा एक सा वक्त बताने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं. पहले हम उन कारणों की चर्चा कर लेते हैं जो ज्यादा प्रचलित हैं लेकिन सही नहीं हैं. पहला और सबसे आसान (और सबसे बेतुका भी) कारण बताया जाता है कि जिस पल घड़ी की खोज की गई उस समय 10 बजकर 10 मिनट बज रहे थे. इसलिए यह समय घड़ियों पर अटक गया. हालांकि इस जानकारी के समर्थन में कोई ऐतिहासिक तथ्य नहीं मिलते इसलिए इसे कोरी बकवास माना जाता है.


🔮एक अन्य मान्यता के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की मृत्यु ठीक इसी समय पर हुई थी इसलिए उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए घड़ियों पर यह समय दिखाया जाता है. यह जानकारी भी सही नहीं है क्योंकि लिंकन को 15 अप्रैल 1865 को रात ठीक सवा दस बजे गोली मारी गई थी लेकिन अगले दिन सुबह 07:22 बजे उनकी मृत्यु हुई थी. इस घटना से जुड़े सभी ऐतिहासिक रिकॉर्ड मौजूद हैं जिनसे मिले इन तथ्यों के आधार पर घड़ियों में 10 बजकर 10 मिनट दिखाने की गुत्थी नहीं सुलझती. एक धारणा यह भी है कि हिरोशिमा और नागासाकी पर हमला ठीक इतने बजे ही हुआ था. लेकिन समय के आंकड़े यहां भी मेल नहीं खाते. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान पहला परमाणु बम सुबह ग्यारह बजे और दूसरा दो दिन बाद सुबह सवा आठ बजे गिराया गया था. यानी इसका भी घड़ी में 10 बजकर 10 मिनट बजाए जाने से कोई संबंध जोड़ना महज गप्पबाजी है.


🔮बीसवीं सदी की शुरूआत में जब घड़ी के प्रिंटेड विज्ञापन आने शुरू हुए तब घड़ियों में यह समय नहीं दिखाया जाता था. तब इसका कोई नियम नहीं था और निर्माता कंपनियां मनमर्जी से कोई भी समय दिखा देती थीं. माना जाता है कि 1920 के बाद विज्ञापनों के साथ-साथ दुकानों में घड़ियों में एक निश्चित समय दिखाने का चलन शुरू हुआ. उस समय की अग्रणी घड़ी निर्माता कंपनियों में से एक वाल्थम ने जहां घंटे और मिनट की कांटों या सुइयों को 10 और 2 के बीच रखा वहीं रूमर्स वॉचेज ने 8 और 4 के बीच कांटे सेट किए. इसके पीछे सबसे बड़ा तर्क यह दिया गया कि कांटों के इस तरह व्यवस्थित रहने से घड़ी की स्टाइलिंग स्पष्ट नजर आती है. यह बात बहुत हद तक सही है क्योंकि प्रयोग भी बताते हैं कि सममित वस्तुएं (जिन्हें एक आभासी या वास्तविक लाइन के जरिए दो बिलकुल एक जैसे हिस्सों में बांटा जा सके) ग्राहक को अधिक आकर्षक और प्रभावी लगती हैं.


🔮कांटों को इस तरह सेट करने के पीछे एक मंशा यह भी थी कि ऐसा करने पर निर्माता कंपनी का नाम स्पष्ट दिखाई देगा जो अमूमन 12 के पास लिखा जाता है. घड़ी में कभी-कभी तारीख या सेकंड बताने के लिए अलग से सेकंडरी डायल बनाया जाता है. यह अक्सर 3, 6 और 9 नंबरों के पास या इनके बीच में कहीं रखा जाता है. ऐसे मे 10 और 2 पर सेट की गई कांटों की व्यवस्था में सेकंडरी डायल साफ-साफ देखा जा सकता है. यह बात 8 और 4 पर सेट कांटों की व्यवस्था के लिए भी सही है. ये दोनों पैटर्न कारगर होने के चलते अगले पचास सालों तक चलन में बने रहे.


🔮लेकिन 1970 का दशक आते-आते ज्यादातर घड़ी कंपनियों ने 10 और 2 पर कांटों की व्यवस्था को अपना लिया. इसकी एक और वजह थी. विशेषज्ञों के मुताबिक 8 और 4 के बीच कांटों को सेट करने के पैटर्न में ब्रांडनेम या निर्माता का नाम तो अधिक स्पष्टता से दिखता है लेकिन यह कहीं न कहीं ग्राहकों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. कांटों की यह स्थिति सैड स्माइली फेस (उदास या दुखभरा चेहरे का प्रतीक) बनाती है. इसके उलट 10 बजकर 10 मिनट बजाने वाले पैटर्न में कांटों की स्थिति मुस्कुराने जैसी होती है. कुछ लोग इसमें जीत यानी विक्टरी का ‘वी’ भी देखते हैं. ये कुछ ऐसे तर्क थे जो बड़े जल्दी ही तमाम घड़ी निर्माताओं ने मान लिए और फिर तकरीबन सभी ने विज्ञापनों या शोरूम में रुकी हुई घड़ियों पर 10:10 बजे के वक्त को ही अपना लिया


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Hindi Story ( धनीराम)



               *!! धनीराम !!*

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एक गांव में एक बहुत बड़ा धनवान व्यक्ति रहता था। लोग उसे सेठ धनीराम कहते थे। उस सेठ के पास प्रचुर मात्रा में धन संपत्ति थी जिसके कारण उसके सगे-संबंधी, रिश्तेदार, भाई-बहन हमेशा उसे घेरे रहते थे वे उन्हीं के राग अलापते रहते थे, सेठ भी उन सभी लोगों की काफी मदद करता था। तभी अचानक कुछ समय बाद सेठ को भंयकर रोग लग गया।


इस भयंकर बीमारी का सेठ ने बहुत उपचार करवाया लेकिन इसका इलाज नहीं हो सका। आख़िरकार सेठ की मृत्यु हो गई। यमदूत उस सेठ को अपने साथ ले जाने के लिए आ गए, जैसे ही यमदूत सेठ को ले जाने लगे तभी सेठ थोड़ी दूर जाकर यमदूतो से प्रार्थना करने लगे कि “मुझे थोड़ा सा समय दे दो, मैं लौटकर तुरंत आता हूँ” दूतों ने उसे अनुमति दे दी।


सेठ लौटकर आया, चारो ओर नज़रे घुमायीं और वापस यमदूतों के पास आकर बोला- “शीघ्र चलिए” यमदूत उसे इस प्रकार अपने साथ चलने के लिए तैयार देखकर चकित रह गए और सेठ से इसका कारण पूछा। सेठ ने निराशा भरे स्वरों में कहा- “मैंने हेराफेरी करके अपार धन एकत्रित किया था, लोगों को खूब खिलाया-पिलाया और उनकी बहुत मदद भी की, सोचा था कि वो मेरा साथ कभी नहीं छोडेंगे। अब जब मैं इस दुनिया को सदा के लिए छोड़ कर जा रहा हूँ, तो वे सब बदल गए है मेरे लिए दुखी होने के बजाय, ये अभी से मेरी संपत्ति को बांटने की योजना बनाने लगे है किसी को मेरे लिए जरा-सा भी अफसोस नहीं है।”


सेठ की बात सुनकर यमदूत बोले- “इस संसार में प्राणी अकेला ही आता है और अकेला ही जाता है, इंसान जो भी अच्छा या बुरा कर्म करता है उसे इसका परिणाम स्वयं ही भुगतना पड़ता है, हर प्राणी इस सत्य को समझता तो है पर देर से।”


*जीवन की सीख:-*

हम इस बात को अपने जीवन में भी देख रहे हैं। लोग जीवन के सत्य को भूलकर मानव द्वारा बनाए गए जाल जैसे लालच, रूपए-पैसा, बुराई आदि तले दब गए हैं।


आप जो भोजन ग्रहण करते है वह पेट में 4 घंटे रहता है, जो वस्त्र पहनते है वह 4 महीने रहता है, लेकिन जो ज्ञान आप हासिल करते हैं वह आपके अंतिम सांस तक साथ रहता है और संस्कार बनकर आपकी अगली पीढी तक पहुँचता है, ज्ञान का बीज कभी व्यर्थ नहीं जाता। जो है जितना है सफल करते चलो, सफल करने से ही सफलता मिलती है।


हर व्यक्ति को सकारात्मक तरीके से देखो, सुनो और समझो। हम जितना ज्यादा पढ़ते है, सुनते है, समझते है, हमें अपनी कमियों का उतना ही ज्यादा एहसास होता है और इसी कमी को दूर करके हम सफलता की मंजिल की और अपने कदम बढ़ाते चले जाते हैं।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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सोमवार, 21 जून 2021

सुविचार

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🎗️✨ सुविचार🎗️✨

      


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*💫"काम करो ऐसे कि पहचान बन जाए,*

 *🌺चलो ऐसे कि निशान बन जाए,*

*🌼अरे जिंदगी तो हर कोई काट लेता है*

*✨अगर दम है तो जियो ऐसे कि मिसाल बन जाए"*


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*✨"Work in such a way that it becomes an identity,*

 *🌼Let it become such a mark,*

*🌴oh life everyone bites*

*💫If you have guts, then live such that you become an example.*


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Hindi Story

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*🌼🌼 प्रेरक प्रसङ्ग🌼🌼*


*🎗️🧎‍♀️!! अंतरराष्ट्रीय योग दिवस !!🧎‍♀️🎗️*


*❇️दिवस विशेष :- अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, 21 जून 2021❇️*


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*अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नें 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि:*


*"योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें* *जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।"*

*—नरेन्द्र मोदी, संयुक्त राष्ट्र महासभा*


*जिसके बाद 21 जून को "अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस" घोषित किया गया। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को "अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस" को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमन्त्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अन्दर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है।*


*योग प्राचीन समय से मनुष्य को प्रकृति द्वारा दिया गया बहुत ही महत्वपूर्ण और अनमोल उपहार है, जो जीवन भर मनुष्य को प्रकृति के साथ जोड़कर रखता है। यह शरीर और मस्तिष्क के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए, इन दोनों को संयुक्त करने का सबसे अच्छा अभ्यास है। यह एक व्यक्ति को सभी आयामों पर, जैसे- शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर नियंत्रण के द्वारा उच्च स्तर की संवेदनशीलता प्रदान करता है।*


*स्कूल और कॉलेज में विद्यार्थियों की बहतरी के साथ ही पढ़ाई पर उनकी एकाग्रता को बढ़ाने के लिए योग के दैनिक अभ्यास को बढ़ावा दिया जाता है। यदि योग को नियमित रुप से किया जाए तो यह दवाईयों का दूसरा विकल्प हो सकता है। यह प्रतिदिन खाई जाने वाली भारी दवाईयों के दुष्प्रभावों को भी कम करता है। प्राणायाम और कपाल-भाति जैसे योगों को करने का सबसे अच्छा समय सुबह का समय है, क्योंकि यह शरीर और मन पर नियंत्रण करने के लिए बेहतर वातावरण प्रदान करता है।*


*आओ करें योग-रहें नीरोग।*

*स्वस्थ रहें-सुरक्षित रहें।।*


*😍😍सदैव प्रसन्न रहे😍😍*

*👍👍जो प्राप्त है, पर्याप्त है👍👍*


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सामान्य ज्ञान

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     *🎊 सामान्य ज्ञान🎊*


*🚨"नींद से जुड़े अति रोचक तथ्य"🚨*


1👉🏻. आज तक ऐसा कोई जवाब नहीं मिला जिससे पता चले हम सोते क्यों हैं।


2👉🏻. इंसान अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा, यानि लगभग 25 वर्ष, सोने में गुजार देता हैं।


3👉🏻. जब तक बच्चा 2 साल का होता हैं तब तक बच्चे के मां-बाप उसकी वजह से 1055 घंटे कम सोते हैं।


4👉🏻. सोते वक्त अगर आप के दिमाग को लगता है की आप किसी खतरे में नही हैं तो वे उन आवाजो को छानकर निकाल देता है जो आप को नींद से जगा सकती हैं।


5👉🏻. जब आपकी नींद Alarm बजने से थोड़ी देर पहले खुल जाती हैं तो उसे “Circadian Rhythm” कहते हैं।


6👉🏻. कभी-कभी जब हम सोने की कोशिश कर रहे होते हैं, तो घडी की टिक-टिक से भी हमें बहुत गुस्सा आता हैं।


7👉🏻. अक्सर हम दोपहर के 2.00 बजे और रात के 2.00 बजे सबसे ज्यादा थकान महसूस करते हैं।


8👉🏻. अकसर जो लोग ज्यादा नहीं सोते उनके harmons का स्तर जल्दी गिरता हैं।


9👉🏻. सबसे ज्यादा समय तक लगातार जागने का रिकार्ड 1964 में 17 साल के Randy Gardner ने बनाया था. वह 264 घंटे 12 मिनट तक जगा रहा( 11 दिन 25 मिनट)। 


10👉🏻. अगर आप किसी सपने से जाग गए हैं और वापस उस सपने को देखना कहते हैं तो आपको जल्दी से आंखे बंद करके सो जाना चाहिये बिलकुल सीधा होकर. ये तरीका हर बार काम नहीं करता पर आप एक अच्छा सपना जरूर देख पाएंगे.


11👉🏻. आपको जानकर हैरानी होगी कि 15% जनसंख्या को नींद में चलने की और 5% जनसंख्या को नींद में बोलने की बीमारी हैं।


12👉🏻. हर 4 शादीशुदा जोड़ो में से एक जोड़ा ऐसा हैं, जो अलग-अलग बेड पर सोता हैं।


13👉🏻. जब आप खुश होते हैं तो कम नींद में काम चल जाता हैं।


14👉🏻. महात्मा गांधी अपनी इच्छा अनुसार सोते और जाग सकते थे। उन्हें गहरी नींद के लिए पांच मिनट का समय ही काफी था।


15👉🏻. सुबह 3:00 से 4:00 बजे के बीच आपका शरीर सबसे कमज़ोर होता हैं. यही कारण है कि ज़्यादातर लोगों की नींद में मृत्यु इसी समय होती हैं.


16👉🏻. “Bruxism” उसे कहते हैं जब हम नींद में अपने दांत किट किटाने लगते हैं।


17👉🏻. 1998 में किये गए एक experiment से पता चलता है कि घुटनों के पीछे, तेज प्रकाश पड़ने से दिमाग में चलने वाली नींद और चेतना की घड़ी reset हो जाती हैं।


18👉🏻. सोते समय छींक मरना असंभव हैं।


19👉🏻. हम बिना खाए 2 महीने तक जीवित रह सकते हैं, लेकिन बिना सोये केवल 11 दिन तक जीवित रह सकते हैं।


20👉🏻. जापान में काम करते करते सो जाना मान्य है क्योकि इसे कड़ी मेहनत करते हुए थक जाना समझा जाता है।


21👉🏻. “Dysania” वह हालत हैं, जब सुबह बिस्तर से उठना बहुत कठिन काम लगता हैं।


22👉🏻. बिल्लियाँ अपने जीवन का 70% भाग सोने में बिताती हैं।


23👉🏻. घोड़ा खड़ा होकर और खरगोश अपनी आँखे खोल कर सोता हैं।


24👉🏻. 1849 में, “David Atchison” अमेरिका के एक दिन के president बने, और उन्होंने अपना ज्यादातर समय सोने में बिता दिया।


25👉🏻. आप टेलिविजन देखने से ज्यादा कैलोरी सोने में खर्च करते हो।


26👉🏻. मैनें सपने में मकड़ी खाई.. ये एक झूठ हैं क्योकिं सपने में मकड़ी खाने के चांस 0% हैं।


27👉🏻. अमेरिका के 8% लोग नंगे सोते हैं।


28👉🏻. दुनिया में मनुष्य ही ऐसा जीव हैं जो अपनी इच्छा से सो सकता हैं.


29👉🏻. सोते समय साँस छोड़ते वक्त हमारा वजन एक पौंड यानि 450 ग्राम तक कम हो जाता है।


30👉🏻. जब पूरा चाँद निकलता है तो इंसान कम सोता है इसके लिए आप पर्यावरण को जिम्मेदार ठहरा सकते हों।


31👉🏻. जब दुनिया में कलर टीवी नहीं था, तब लगभग 80% जनसँख्या को सपने भी काले और सफ़ेद आते थे.


32👉🏻. जो लोग सपने नहीं देखते उन्हें “Personality Disorders” नामक बीमारी होती हैं।


33👉🏻. “Parasomnia” एक ऐसी बीमारी हैं, जिसमें आदमी नींद में ही हत्या जैसा संगीन जुर्म कर सकता हैं।


34👉🏻. जब डोल्फिन और व्हेल सो रही होती है तब भी उनका आधा दिमाग जागता रहता हैं, उन्हें याद दिलाने के लिए कि हवा लेने सतह पर कब जाना हैं।


35👉🏻. रात को सोते वक्‍त हम अपनी सूंघने की क्षमता खो बैठते हैं, जिससे अगर घर पर कोई गैस लीक हो रही हो या फिर धुएं की महक आए तो हमें पता ही नहीं चल पाता।


36👉🏻. अगर आप 16 घंटे तक लगातार जागते हैं तो आपका दिमाग ऐसा महसूस करेगा जैसे आपके खून में 0.5% अल्कोहल होने पर करता हैं.


37👉🏻. यदि आपने पूरी नींद नही ली तो आप बाॅडी में लैप्टिन की कमी होने के कारण आप ज्यादा खाना खाएंगे.


38👉🏻. कभी-कभी अधिक ऊंचाई के कारण भी नींद नही आती.


39👉🏻. “Sleep Apnea” एक ऐसी बीमारी हैं जब सोते वक्त साँस रूक जाता हैं इसके कारण आदमी सोने से डरता हैं और हमेशा तनाव में रहता हैं.


40👉🏻. अगर आप रात को 7 घंटे से कम सोते हैं तो जुकाम होने की संभावना 3 गुणा बढ़ जाती हैं.


41👉🏻. टोपी लगाकर सोना असंभव हैं. नींद ही नही आएगी.


42👉🏻. नींद न आने का सबसे बड़ा कारण 24 घंटे Internet चलाना भी हैं.😊


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हार-जीत का फैसला



      *!! हार-जीत का फैसला !!*

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बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ में निर्णायक थीं- मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती। 


हार- जीत का निर्णय होना बाक़ी था, इसी बीच देवी भारती को किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिये बाहर जाना पड़ गया। 


लेकिन जाने से पहले देवी भारती ने दोनों ही विद्वानों के गले में एक- एक फूल माला डालते हुए कहा, ये दोनों मालाएँ मेरी अनुपस्थिति में आपके हार और जीत का फैसला करेंगी। यह कहकर देवी भारती वहाँ से चली गईँ। शास्त्रार्थ की प्रकिया आगे चलती रही। 


कुछ देर पश्चात् देवी भारती अपना कार्य पुरा करके लौट आईं। उन्होंने अपनी निर्णायक नजरों से शंकराचार्य और मंडन मिश्र को बारी-बारी से देखा और अपना निर्णय सुना दिया। उनके फैसले के अनुसार आदि शंकराचार्य विजयी घोषित किये गये और उनके पति मंडन मिश्र की पराजय हुई थी। 


सभी दर्शक हैरान हो गये कि बिना किसी आधार के इस विदुषी ने अपने पति को ही पराजित करार दे दिया। एक विद्वान नें देवी भारती से नम्रतापूर्वक जिज्ञासा की- हे ! देवी आप तो शास्त्रार्थ के मध्य ही चली गई थीँ फिर वापस लौटते ही आपने ऐसा फैसला कैसे दे दिया ??


देवी भारती ने मुस्कुराकर जवाब दिया- जब भी कोई विद्वान शास्त्रार्थ में पराजित होने लगता है, और उसे जब हार की झलक दिखने लगती है तो इस वजह से वह क्रुध्द हो उठता है और मेरे पति के गले की माला उनके क्रोध की ताप से सूख चुकी है जबकि शंकराचार्य जी की माला के फूल अभी भी पहले की भांति ताजे हैं। इससे ज्ञात होता है कि शंकराचार्य की विजय हुई है।


विदुषी देवी भारती का फैसला सुनकर सभी दंग रह गये, सबने उनकी काफी प्रशंसा की। 


*शिक्षा:-*

दोस्तों! क्रोध मनुष्य की वह अवस्था है जो जीत के नजदीक पहुँचकर हार का नया रास्ता खोल देता है। क्रोध न सिर्फ हार का दरवाजा खोलता है बल्कि रिश्तों में दरार का कारण भी बनता है। इसलिये कभी भी अपने क्रोध के ताप से अपने फूल रूपी गुणों को मुरझाने मत दीजिये।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

 📜 21 जून 📜


   🧘‍♂️ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 🧘‍♀️


अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नें 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि:


"योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।"

—नरेन्द्र मोदी, संयुक्त राष्ट्र महासभा


जिसके बाद 21 जून को "अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस" घोषित किया गया। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को "अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस" को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमन्त्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अन्दर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है।


योग प्राचीन समय से मनुष्य को प्रकृति द्वारा दिया गया बहुत ही महत्वपूर्ण और अनमोल उपहार है, जो जीवन भर मनुष्य को प्रकृति के साथ जोड़कर रखता है। यह शरीर और मस्तिष्क के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए, इन दोनों को संयुक्त करने का सबसे अच्छा अभ्यास है। यह एक व्यक्ति को सभी आयामों पर, जैसे- शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर नियंत्रण के द्वारा उच्च स्तर की संवेदनशीलता प्रदान करता है। 


स्कूल और कॉलेज में विद्यार्थियों की बहतरी के साथ ही पढ़ाई पर उनकी एकाग्रता को बढ़ाने के लिए योग के दैनिक अभ्यास को बढ़ावा दिया जाता है। यदि योग को नियमित रुप से किया जाए तो यह दवाईयों का दूसरा विकल्प हो सकता है। यह प्रतिदिन खाई जाने वाली भारी दवाईयों के दुष्प्रभावों को भी कम करता है। प्राणायाम और कपाल-भाति जैसे योगों को करने का सबसे अच्छा समय सुबह का समय है, क्योंकि यह शरीर और मन पर नियंत्रण करने के लिए बेहतर वातावरण प्रदान करता है।


आओ करें योग-रहें निरोग।

स्वस्थ रहें-सुरक्षित रहें।।

! सदैव सत्य बोलना चाहिए !!



       *!! सदैव सत्य बोलना चाहिए !!*

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रमेश बहुत ही प्यारा बालक था। वह कक्षा दूसरी में पढ़ता। रमेश विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय त्यौहार मनाया जाने वाला था। रमेश  बहुत उत्साहित था इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए। रमेश को उसकी कक्षा अध्यापिका ने स्वतंत्रता दिवस की परेड में भाग लेने के लिए बोला था। उसके हर्ष का कोई ठिकाना नहीं था , वह खुशी-खुशी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तैयारियां करने लगा।


स्वतंत्रता दिवस की होने वाली परेड में सभी साथियों के साथ पूर्व अभ्यास निरंतर करता रहा और अत्यंत उत्साह से भरा हुआ था। परेड वाले दिन जब वह स्कूल के लिए तैयार होने लगा तो रमेश ने अपने दादा जी को खोजा। दादाजी रमेश के साथ निरंतर विद्यालय जाया करते थे उसे पहुँचाने।


किंतु दादाजी नहीं मिले  मां से पूछा तो माँ  ने बताया दादाजी गांव गए हैं।

वहां दादी की तबीयत खराब है , और हॉस्पिटल में है।


पिताजी भी गए हुए हैं , अब मैं तुम्हें स्कूल पहुंचा कर गांव निकलूंगी।


रमेश ने यह बात सुनी तो बहुत दुखी हुआ और वह स्वयं भी दादी के पास जाने के लिए जिद करने लगा।


इस पर उसकी मां रमेश  को अपने साथ लेकर गांव चली गई।

जब वह कुछ दिन बाद विद्यालय पहुंचा वहां , प्रधानाचार्य ने उन सभी बालकों को बुलाया जिन्होंने परेड में भाग नहीं लिया था।  इस पर रमेश का नाम नहीं पुकारा गया , बाकी सभी विद्यार्थियों को उनके अभिभावक को लाने के लिए कहा गया। रमेश ने सोचा कि मेरा नाम प्रधानाचार्य ने नहीं बोला लगता है वह भूल गए होंगे। रमेश  प्रधानाचार्य के ऑफिस में गया और उसने प्रधानाचार्य से कहा कि ‘ मैं भी उस दिन परेड में नहीं आया था।


मगर आपने मेरा नाम नहीं लिया क्या मुझे भी अपने माता-पिता को बुलाकर लाना है ? ‘


रमेश के इस सरल स्वभाव को देखकर प्रधानाचार्य खुशी हुए और उन्होंने रमेश से बताया कि तुम्हारे माता-पिता ने फोन करके तुम्हारे स्कूल ना आने का कारण मुझे पहले ही बता दिया था।


तुम्हारी इमानदारी से मुझे खुशी हुई।


तुम अच्छे से पढ़ाई करो और अगली बार परेड में निश्चित रूप से भाग लेना।


*शिक्षा:-*

मित्रों! सदैव सत्य बोलना चाहिए और सत्य का साथ देना चाहिए। व्यक्ति का स्वभाव ही उस व्यक्ति का परिचय है।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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Hindi Story ( हार-जीत का फैसला )

      *!! हार-जीत का फैसला !!*

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बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ में निर्णायक थीं- मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती। 


हार- जीत का निर्णय होना बाक़ी था, इसी बीच देवी भारती को किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिये बाहर जाना पड़ गया। 


लेकिन जाने से पहले देवी भारती ने दोनों ही विद्वानों के गले में एक- एक फूल माला डालते हुए कहा, ये दोनों मालाएँ मेरी अनुपस्थिति में आपके हार और जीत का फैसला करेंगी। यह कहकर देवी भारती वहाँ से चली गईँ। शास्त्रार्थ की प्रकिया आगे चलती रही। 


कुछ देर पश्चात् देवी भारती अपना कार्य पुरा करके लौट आईं। उन्होंने अपनी निर्णायक नजरों से शंकराचार्य और मंडन मिश्र को बारी-बारी से देखा और अपना निर्णय सुना दिया। उनके फैसले के अनुसार आदि शंकराचार्य विजयी घोषित किये गये और उनके पति मंडन मिश्र की पराजय हुई थी। 


सभी दर्शक हैरान हो गये कि बिना किसी आधार के इस विदुषी ने अपने पति को ही पराजित करार दे दिया। एक विद्वान नें देवी भारती से नम्रतापूर्वक जिज्ञासा की- हे ! देवी आप तो शास्त्रार्थ के मध्य ही चली गई थीँ फिर वापस लौटते ही आपने ऐसा फैसला कैसे दे दिया ??


देवी भारती ने मुस्कुराकर जवाब दिया- जब भी कोई विद्वान शास्त्रार्थ में पराजित होने लगता है, और उसे जब हार की झलक दिखने लगती है तो इस वजह से वह क्रुध्द हो उठता है और मेरे पति के गले की माला उनके क्रोध की ताप से सूख चुकी है जबकि शंकराचार्य जी की माला के फूल अभी भी पहले की भांति ताजे हैं। इससे ज्ञात होता है कि शंकराचार्य की विजय हुई है।


विदुषी देवी भारती का फैसला सुनकर सभी दंग रह गये, सबने उनकी काफी प्रशंसा की। 


*शिक्षा:-*

दोस्तों! क्रोध मनुष्य की वह अवस्था है जो जीत के नजदीक पहुँचकर हार का नया रास्ता खोल देता है। क्रोध न सिर्फ हार का दरवाजा खोलता है बल्कि रिश्तों में दरार का कारण भी बनता है। इसलिये कभी भी अपने क्रोध के ताप से अपने फूल रूपी गुणों को मुरझाने मत दीजिये।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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रविवार, 20 जून 2021

सुविचार

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*🎗️✨ सुविचार🎗️✨*

      


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*💫"काम करो ऐसे कि पहचान बन जाए,*

 *🌺चलो ऐसे कि निशान बन जाए,*

*🌼अरे जिंदगी तो हर कोई काट लेता है*

*✨अगर दम है तो जियो ऐसे कि मिसाल बन जाए"*


🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀


*✨"Work in such a way that it becomes an identity,*

 *🌼Let it become such a mark,*

*🌴oh life everyone bites*

*💫If you have guts, then live such that you become an example.*


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शनिवार, 19 जून 2021

Hindi Story ( शिक्षा की बोली ना लगने दें )

 🍀! शिक्षा की बोली ना लगने दें !!🌺*


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*एक नगर में रहने वाले एक पंडित जी की ख्याति दूर-दूर तक थी। पास ही के गाँव में स्थित मंदिर के पुजारी का आकस्मिक निधन होने की वजह से, उन्हें वहाँ का पुजारी नियुक्त किया गया था। एक बार वे अपने गंतव्य की और जाने के लिए बस में चढ़े, उन्होंने कंडक्टर को किराए के रुपये दिए और सीट पर जाकर बैठ गए। कंडक्टर ने जब किराया काटकर उन्हें रुपये वापस दिए तो पंडित जी ने पाया कि कंडक्टर ने दस रुपये ज्यादा दे दिए हैं। पंडित जी ने सोचा कि थोड़ी देर बाद कंडक्टर को रुपये वापस कर दूंगा। कुछ देर बाद मन में विचार आया कि बेवजह दस रुपये जैसी मामूली रकम को लेकर परेशान हो रहे है।*


*आखिर ये बस कंपनी वाले भी तो लाखों कमाते हैं, बेहतर है इन रूपयों को भगवान की भेंट समझकर अपने पास ही रख लिया जाए। वह इनका सदुपयोग ही करेंगे। मन में चल रहे विचारों के बीच उनका गंतव्य स्थल आ गया। बस से उतरते ही उनके कदम अचानक ठिठके, उन्होंने जेब मे हाथ डाला और दस का नोट निकाल कर कंडक्टर को देते हुए कहा, भाई तुमने मुझे किराया काटने के बाद भी दस रुपये ज्यादा दे दिए थे। कंडक्टर मुस्कराते हुए बोला, क्या आप ही गाँव के मंदिर के नए पुजारी है?*


*पंडित जी के हामी भरने पर कंडक्टर बोला, मेरे मन में कई दिनों से आपके प्रवचन सुनने की इच्छा थी, आपको बस में देखा तो ख्याल आया कि चलो देखते है कि मैं अगर ज्यादा पैसे दूँ तो आप क्या करते हो.. अब मुझे विश्वास हो गया कि आपके प्रवचन जैसा ही आपका आचरण है। जिससे सभी को सीख लेनी चाहिए: बोलते हुए, कंडक्टर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। पंडितजी बस से उतरकर पसीना-पसीना थे।*


*उन्होंने हाथ जोड़कर भगवान का आभार व्यक्त किया कि हे प्रभु! आपका लाख-लाख शुक्र है, जो आपने मुझे बचा लिया, मैने तो दस रुपये के लालच में आपकी शिक्षाओं की बोली लगा दी थी। पर आपने सही समय पर मुझे सम्हलने का अवसर दे दिया। कभी कभी हम भी तुच्छ से प्रलोभन में, अपने जीवन भर की चरित्र पूँजी दाँव पर लगा देते हैं।*


*😍😍सदैव प्रसन्न रहे😍😍*

*👍👍जो प्राप्त है,पर्याप्त है👍👍*


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प्रेरणा


 *🎗️✨🌺 प्रेरणा🌺✨🎗️* 


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*🌴आत्मविश्वास तब नहीं आता जब आपके🎍 पास सारे जवाब हो बल्कि तब आता है💫 जब सारे सवालों का सामना करने के लिए आप तैयार हैं।*


*🔹आज से हम🔹*

*🌼आत्मविश्वास से हर चीज़ का सामना करें...*


 *🛑 INSPIRATION🛑* 


*🎗️Confidence doesn't come when you have all the answers... 🌺But it comeswhen you are ready to face all the questions...!*


*❇️TODAY ONWARDS LET'S❇️*

*✨face everything with confidence.*


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चूने के सेवन से अनेकों लाभ

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     *🎊आज का सामान्य ज्ञान🎊*


*🚨"चूने के सेवन से अनेकों लाभ"🚨*


*👉🏻किसी को पीलिया हो जाये यानी "Jaundice" उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना -- गेहूँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक कर देता है।*


*👉🏻ये ही चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है - अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे। जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अच्छी दवा है ये चूना।*


*👉🏻विद्यार्थियों के लिए चूना बहुत अच्छा है जो लम्बाई बढाता है - गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला के खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिला के खाओ, दाल नही है तो पानी में मिला के पियो - इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छा होता है।*


*👉🏻जिन बच्चों की बुद्धि कम काम करती है 'मतिमंद बच्चे' उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे।*


*👉🏻बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना। हमारे घर में जो माताएं है जिनकी उम्र पचास वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म बंद हुआ उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना -- गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना। जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा केल्शियम की जरुरत होती है और चूना केल्शियम का सबसे बड़ा भंडार है। गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे - पहला फायदा होगा के माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगा, दूसरा बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट पुष्ट और तंदुरुस्त होगा, तीसरा फ़ायदा वो बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है।*


*👉🏻चूना घुटने का दर्द ठीक करता है, कमर का दर्द ठीक करता है, कंधे का दर्द ठीक करता है, एक खतरनाक बीमारी "Spondylitis" वो चुने से ठीक होता है। कई बार हमारे रीढ़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमें दूरी बढ़ जाती है Gap आ जाता है - ये चूना ही ठीक करता है उसको; रीड़ की हड्डी की सब बीमारिया चूने से ठीक होता है।*


*👉🏻अगर आपकी हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे ज्यादा चूने में है।*


*👉🏻चूना खाइए सुबह को खाली पेट। अगर मुंह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चूना खाओ बिलकुल ठीक हो जाता है।*


*👉🏻मुंह में अगर छाले हो गए है तो चूने का पानी पियो तुरन्त ठीक हो जाता है।*


*👉🏻शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए, एनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना, चूना पीते रहो गन्ने के रस में, या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में - अनार के रस में चूना पिए खून बहुत बढता है, बहुत जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह खाली पेट।*


*👉🏻भारत के जो लोग चूने से पान खाते है, बहुत होशियार लोग है पर तम्बाकू नही खाना, तम्बाकू ज़हर है और चूना अमृत है..... तो चूना खाइए तम्बाकू मत खाइए और पान खाइए चूने का उसमें कत्था मत लगाइए, कत्था केन्सर करता है, पान में सुपारी मत डालिए सौंठ डालिए उसमे इलाइची डालिए, लौंग डालिए, केशर डालिए ; ये सब डालिए पान में चूना लगा के पर तम्बाकू नही, सुपारी नही और कत्था नही।*


*👉🏻अगर आपके घुटने में घिसाव आ गया और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नहीं चूना खाते रहिये और हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा खाइए घुटने बहुत अच्छे काम करेंगे। चूना खाइए पर चूना लगाइए मत किसको भी.... ये चूना लगाने के लिए नही है खाने के लिए है ; आजकल हमारे देश में चूना लगाने वाले बहुत है पर ये भगवान ने खाने के लिए दिया है।*


*नोट - यद्यपि सभी तथ्य सही हैं फिर भीचिकित्सक की सलाह अनुसार लें।* 


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Hindi Story


     *!! हमारी नजरिया, हमारा भविष्य !!*

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एक टीचर एक बार पूरी क्लास के बच्चों को अपने गांव में लेकर गई। उनके गांव में उनके परिवार वालों ने आम के बाग लगा रखे थे। साथ ही एक नर्सरी भी थी, जहां गुलाब की खेती होती थी। सारे बच्चों ने बाग से तोड़कर बढ़िया आम खाए और फिर गुलाबों के बीच खड़े होकर ढेर सारी फोटो खिंचवाई। जब वहां से चलने का समय आया, तब टीचर ने कहा, बच्चो, हमारी जिंदगी में अच्छे लोग और अच्छे रिश्ते होने बहुत जरूरी होते हैं। हमें इनकी अहमियत समझनी चाहिए।


एक बच्चे ने पूछा, लेकिन हम यह कैसे पता लगाएं कि कौन अच्छा है और कौन बुरा। टीचर कहने लगी, चलो इसे हम एक खेल के जरिये समझते हैं। तुम जरा आम के बाग में जाओ और वहां जो भी सबसे बड़ा आम हो, वह मेरे लिए तोड़कर ले आओ। लेकिन यदि तुम एक बार आगे बढ़ गए, तो लौट नहीं सकते। वह बच्चा बाग में गया और वहां सारे आमों को ध्यान से देखने लगा। एक-एक आम को देखते हुए वह यह सोचकर आगे बढ़ता गया कि शायद इससे बड़ा आम आगे दिख जाए।


ऐसा करते-करते वह बाग के अंत तक पहुंच गया। आखिरी सिरे पर पहुंचने के बाद उसे यह समझ में आया कि सबसे बड़ा आम तो पहले ही पेड़ पर लगा था। वह खाली हाथ टीचर के पास पहुंचा और अपना अनुभव सुनाया। टीचर बोली, हम अक्सर ऐसे ही लोगों को समझने में भूल कर देते हैं। अच्छे की तलाश में हम इधर-उधर ढूंढते रहते हैं, और जो हमारे सामने है, हम उसे भी नहीं पहचान पाते।


अच्छा चलो, अब मेरे लिए सबसे बड़ा गुलाब तोड़कर ले आओ। इस बार बच्चे ने कोई गलती नहीं की। वह गुलाब के बाग में गया और उसे सबसे पहला गुलाब जो सबसे बड़ा दिखा, उसे तोड़कर ले आया। टीचर कहने लगी, देखा, इस बार तुमने अपने ऊपर विश्वास किया और खुद को यकीन दिलाया कि जो मेरे सामने है, वही सबसे अच्छा है। अच्छाई अक्सर दूसरों में नहीं, बल्कि अपने ही अंदर छिपी रहती है।


*शिक्षा:-* 

ज्यादे अच्छे की लालच में उसे ना खो दे जो आपके सामने है, हम अक्सर ऐसे ही लोगों को समझने में भूल कर देते हैं। अच्छे की तलाश में हम इधर-उधर ढूंढते रहते हैं, और जो हमारे सामने है, हम उसे भी नहीं पहचान पाते। हमारी सोच और नजरिया ही हमारा भविष्य तय करतीं हैं।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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Hindi Story



         💫    *!! हमेशा सीखते रहो !!* 💫


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एक बार गाँव के दो व्यक्तियों ने शहर जाकर पैसे कमाने का निर्णय लिया. शहर जाकर कुछ महीने इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर दोनों ने कुछ पैसे जमा किये. फिर उन पैसों से अपना-अपना व्यवसाय प्रारंभ किया. दोनों का व्यवसाय चल पड़ा. दो साल में ही दोनों ने अच्छी ख़ासी तरक्की कर ली. व्यवसाय को फलता-फूलता देख पहले व्यक्ति ने सोचा कि अब तो मेरे काम चल पड़ा है. अब तो मैं तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला जाऊंगा. लेकिन उसकी सोच के विपरीत व्यापारिक उतार-चढ़ाव के कारण उसे उस साल अत्यधिक घाटा हुआ।


अब तक आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्थ के धरातल पर आ गिरा. वह उन कारणों को तलाशने लगा, जिनकी वजह से उसका व्यापार बाज़ार की मार नहीं सह पाया. सबने पहले उसने उस दूसरे व्यक्ति के व्यवसाय की स्थिति का पता लगाया, जिसने उसके साथ ही व्यापार आरंभ किया था. वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार-चढ़ाव और मंदी के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफ़े में है. उसने तुरंत उसके पास जाकर इसका कारण जानने का निर्णय लिया. अगले ही दिन वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचा।


दूसरे व्यक्ति ने उसका खूब आदर-सत्कार किया और उसके आने का कारण पूछा। तब पहला व्यक्ति बोला, “दोस्त! इस वर्ष मेरा व्यवसाय बाज़ार की मार नहीं झेल पाया. बहुत घाटा झेलना पड़ा. तुम भी तो इसी व्यवसाय में हो. त्तुमने ऐसा क्या किया कि इस उतार-चढ़ाव के दौर में भी तुमने मुनाफ़ा कमाया?” यह बात सुन दूसरा व्यक्ति बोला, “भाई! मैं तो बस सीखता जा रहा हूँ, अपनी गलती से भी और साथ ही दूसरों की गलतियों से भी. जो समस्या सामने आती है, उसमें से भी सीख लेता हूँ. इसलिए जब दोबारा वैसी समस्या सामने आती है।


तो उसका सामना अच्छे से कर पाता हूँ और उसके कारण मुझे नुकसान नहीं उठाना पड़ता. बस ये सीखने की प्रवृत्ति ही है, जो मुझे जीवन में आगे बढ़ाती जा रही है.” दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर पहले व्यक्ति को अपनी भूल का अहसास हुआ. सफ़लता के मद में वो अति-आत्मविश्वास से भर उठा था और सीखना छोड़ दिया था. वह यह प्रण कर वापस लौटा कि कभी सीखना नहीं छोड़ेगा. उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला गया.


*शिक्षा:-*

दोस्तों, जीवन में कामयाब होना है, तो इसे पाठशाला मान हर पल सीखते रहिये. यहाँ नित नए परिवर्तन और नए विकास होते रहते हैं. यदि हम स्वयं को सर्वज्ञाता समझने की भूल करेंगे, तो जीवन की दौड़ में पिछड़ जायेंगे. क्योंकि इस दौड़ में जीतता वही है, जो लगातार दौड़ता रहता है. जिसें दौड़ना छोड़ दिया, उसकी हार निश्चित है. इसलिए सीखने की ललक खुद में बनाये रखें, फिर कोई बदलाव, कोई उतार-चढ़ाव आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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शुक्रवार, 18 जून 2021

Hindi Story


     *!! हमारी नजरिया, हमारा भविष्य !!*

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एक टीचर एक बार पूरी क्लास के बच्चों को अपने गांव में लेकर गई। उनके गांव में उनके परिवार वालों ने आम के बाग लगा रखे थे। साथ ही एक नर्सरी भी थी, जहां गुलाब की खेती होती थी। सारे बच्चों ने बाग से तोड़कर बढ़िया आम खाए और फिर गुलाबों के बीच खड़े होकर ढेर सारी फोटो खिंचवाई। जब वहां से चलने का समय आया, तब टीचर ने कहा, बच्चो, हमारी जिंदगी में अच्छे लोग और अच्छे रिश्ते होने बहुत जरूरी होते हैं। हमें इनकी अहमियत समझनी चाहिए।


एक बच्चे ने पूछा, लेकिन हम यह कैसे पता लगाएं कि कौन अच्छा है और कौन बुरा। टीचर कहने लगी, चलो इसे हम एक खेल के जरिये समझते हैं। तुम जरा आम के बाग में जाओ और वहां जो भी सबसे बड़ा आम हो, वह मेरे लिए तोड़कर ले आओ। लेकिन यदि तुम एक बार आगे बढ़ गए, तो लौट नहीं सकते। वह बच्चा बाग में गया और वहां सारे आमों को ध्यान से देखने लगा। एक-एक आम को देखते हुए वह यह सोचकर आगे बढ़ता गया कि शायद इससे बड़ा आम आगे दिख जाए।


ऐसा करते-करते वह बाग के अंत तक पहुंच गया। आखिरी सिरे पर पहुंचने के बाद उसे यह समझ में आया कि सबसे बड़ा आम तो पहले ही पेड़ पर लगा था। वह खाली हाथ टीचर के पास पहुंचा और अपना अनुभव सुनाया। टीचर बोली, हम अक्सर ऐसे ही लोगों को समझने में भूल कर देते हैं। अच्छे की तलाश में हम इधर-उधर ढूंढते रहते हैं, और जो हमारे सामने है, हम उसे भी नहीं पहचान पाते।


अच्छा चलो, अब मेरे लिए सबसे बड़ा गुलाब तोड़कर ले आओ। इस बार बच्चे ने कोई गलती नहीं की। वह गुलाब के बाग में गया और उसे सबसे पहला गुलाब जो सबसे बड़ा दिखा, उसे तोड़कर ले आया। टीचर कहने लगी, देखा, इस बार तुमने अपने ऊपर विश्वास किया और खुद को यकीन दिलाया कि जो मेरे सामने है, वही सबसे अच्छा है। अच्छाई अक्सर दूसरों में नहीं, बल्कि अपने ही अंदर छिपी रहती है।


*शिक्षा:-* 

ज्यादे अच्छे की लालच में उसे ना खो दे जो आपके सामने है, हम अक्सर ऐसे ही लोगों को समझने में भूल कर देते हैं। अच्छे की तलाश में हम इधर-उधर ढूंढते रहते हैं, और जो हमारे सामने है, हम उसे भी नहीं पहचान पाते। हमारी सोच और नजरिया ही हमारा भविष्य तय करतीं हैं।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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*🌹 रानी लक्ष्मीबाई // बलिदान दिवस 🌹*

 *📜 18 जून 📜*


*🌹 रानी लक्ष्मीबाई // बलिदान दिवस 🌹*


खूब लड़ी मर्दानी वह तो....


भारत में अंग्रेजी सत्ता के आने के साथ ही गाँव-गाँव में उनके विरुद्ध विद्रोह होने लगा; पर व्यक्तिगत या बहुत छोटे स्तर पर होने के कारण इन संघर्षों को सफलता नहीं मिली। अंग्रेजों के विरुद्ध पहला संगठित संग्राम 1857 में हुआ। इसमें जिन वीरों ने अपने साहस से अंग्रेजी सेनानायकों के दाँत खट्टे किये, उनमें झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम प्रमुख है।


19 नवम्बर, 1835 को वाराणसी में जन्मी लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मनु था। प्यार से लोग उसे मणिकर्णिका तथा छबीली भी कहते थे। इनके पिता श्री मोरोपन्त ताँबे तथा माँ श्रीमती भागीरथी बाई थीं। गुड़ियों से खेलने की अवस्था से ही उसे घुड़सवारी, तीरन्दाजी, तलवार चलाना, युद्ध करना जैसे पुरुषोचित कामों में बहुत आनन्द आता था। नाना साहब पेशवा उसके बचपन के साथियों में थे।


उन दिनों बाल विवाह का प्रचलन था। अतः सात वर्ष की अवस्था में ही मनु का विवाह झाँसी के महाराजा गंगाधरराव से हो गया। विवाह के बाद वह लक्ष्मीबाई कहलायीं। उनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहा। जब वह 18 वर्ष की ही थीं, तब राजा का देहान्त हो गया। दुःख की बात यह भी थी कि वे तब तक निःसन्तान थे। युवावस्था के सुख देखने से पूर्व ही रानी विधवा हो गयीं।


उन दिनों अंग्रेज शासक ऐसी बिना वारिस की जागीरों तथा राज्यों को अपने कब्जे में कर लेते थे। इसी भय से राजा ने मृत्यु से पूर्व ब्रिटिश शासन तथा अपने राज्य के प्रमुख लोगों के सम्मुख दामोदर राव को दत्तक पुत्र स्वीकार कर लिया था; पर उनके परलोक सिधारते ही अंग्रेजों की लार टपकने लगी। उन्होंने दामोदर राव को मान्यता देने से मनाकर झाँसी राज्य को ब्रिटिश शासन में मिलाने की घोषणा कर दी। यह सुनते ही लक्ष्मीबाई सिंहनी के समान गरज उठी - मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी।


अंग्रेजों ने रानी के ही एक सरदार सदाशिव को आगे कर विद्रोह करा दिया। उसने झाँसी से 50 कि.मी दूर स्थित करोरा किले पर अधिकार कर लिया; पर रानी ने उसे परास्त कर दिया। इसी बीच ओरछा का दीवान नत्थे खाँ झाँसी पर चढ़ आया। उसके पास साठ हजार सेना थी; पर रानी ने अपने शौर्य व पराक्रम से उसे भी दिन में तारे दिखा दिये।


इधर देश में जगह-जगह सेना में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह शुरू हो गये। झाँसी में स्थित सेना में कार्यरत भारतीय सैनिकों ने भी चुन-चुनकर अंग्रेज अधिकारियों को मारना शुरू कर दिया। रानी ने अब राज्य की बागडोर पूरी तरह अपने हाथ में ले ली; पर अंग्रेज उधर नयी गोटियाँ बैठा रहे थे।


जनरल ह्यू रोज ने एक बड़ी सेना लेकर झाँसी पर हमला कर दिया। रानी दामोदर राव को पीठ पर बाँधकर 22 मार्च, 1858 को युद्धक्षेत्र में उतर गयी। आठ दिन तक युद्ध चलता रहा; पर अंग्रेज आगे नहीं बढ़ सके। नौवें दिन अपने बीस हजार सैनिकों के साथ तात्या टोपे रानी की सहायता को आ गये; पर अंग्रेजों ने भी नयी कुमुक मँगा ली। रानी पीछे हटकर कालपी जा पहुँची।


कालपी से वह ग्वालियर आयीं। वहाँ 17 जून, 1858 को ब्रिगेडियर स्मिथ के साथ हुए युद्ध में उन्होंने वीरगति पायी। रानी के विश्वासपात्र बाबा गंगादास ने उनका शव अपनी झोंपड़ी में रखकर आग लगा दी। रानी केवल 22 वर्ष और सात महीने ही जीवित रहीं। पर ‘‘खूब लड़ी मरदानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी.....’’ गाकर उन्हें सदा याद किया जाता है।


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मंगलवार, 15 जून 2021

*!! झगड़े का मूल !!*

           *!! झगड़े का मूल !!*

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एक बार गोमल सेठ अपनी दुकान पर बैठे थे। दोपहर का समय था इसलिए कोई ग्राहक भी नहीं था तो वो थोडा सुस्ताने लगे। इतने में ही एक संत भिक्षुक भिक्षा लेने के लिए दुकान पर आ पहुचे और सेठ जी को आवाज लगाई कुछ देने के लिए... 


सेठजी ने देखा कि इस समय कौन आया है ? जब उठकर देखा तो एक संत याचना कर रहा था। सेठ बड़ा ही दयालु था, वह तुरंत उठा और दान देने के लिए कटोरी चावल बोरी में से निकाला और संत के पास आकर उनको चावल दे दिया।


संत ने सेठ जी को बहुत बहुत आशीर्वाद और दुवाएं दीं। तब सेठजी ने संत से हाथ जोड़कर बड़े ही विनम्र भाव से कहा कि- हे! गुरुजन आपको मेरा प्रणाम मैं आपसे अपने मन में उठी शंका का समाधान पूछना चाहता हूँ।


संत ने कहा की जरुर पूछो। तब सेठ जी ने कहा की लोग आपस में लड़ते क्यों हैं ? संत ने सेठजी के इतना पूछते ही शांत स्वभाव और वाणी में कहा कि- सेठ मैं तुम्हारे पास भिक्षा लेने के लिए आया हूँ। तुम्हारे इस प्रकार के मूर्खता पूर्वक सवालों के जवाब देने नहीं आया हूँ।


संत के मुख से इतना सुनते ही सेठ जी को क्रोध आ गया और मन में सोचने लगे की यह कैसा घमंडी और असभ्य संत है ? ये तो बड़ा ही कृतघ्न है। एक तरफ मैंने इनको दान दिया और ये मेरे को ही इस प्रकार की बात बोल रहे हैं। इनकी इतनी हिम्मत और ये सोच कर सेठजी को बहुत ही गुस्सा आ गया और वो काफी देर तक उस संत को खरी खोटी सुनाते रहे और जब अपने मन की पूरी भड़ास निकाल चुके 

तब कुछ शांत हुए। 


तब संत ने बड़े ही शांत और स्थिर भाव से कहा कि- जैसे ही मैंने कुछ बोला आपको गुस्सा आ गया और आप गुस्से से भर गए और जोर जोर से बोलने और चिल्लाने लगे।


*शिक्षा:-*

वास्तव में केवल विवेकहीनता ही सभी झगड़े का मूल होता है। यदि सभी लोग विवेकी हो जाये तो अपने गुस्से पर काबू रख सकेंगे या हर परिस्थिति में प्रसन्न रहना सीख जायें तो दुनिया में झगड़े ही कभी न होंगे!


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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सोमवार, 14 जून 2021

*!! एक और एक ग्यारह !!*



             *!! एक और एक ग्यारह !!*

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एक बार की बात हैं कि बनगिरी के घने जंगल में एक उन्मुत्त हाथी ने भारी उत्पात मचा रखा था। वह अपनी ताकत के नशे में चूर होने के कारण किसी को कुछ नेहीं समझता था।


बनगिरी में ही एक पेड पर एक चिडिया व चिडे का छोटा-सा सुखी संसार था। चिडिया अंडो पर बैठी नन्हें-नन्हें प्यारे बच्चों के निकलने के सुनहरे सपने देखती रहती। एक दिन क्रूर हाथी गरजता, चिंघाडता पेडों को तोडता-मरोडता उसी ओर आया। देखते ही देखते उसने चिडिया के घोंसले वाला पेड भी तोड डाला। घोंसला नीचे आ गिरा। अंडे टूट गए और ऊपर से हाथी का पैर उस पर पडा।


चिडिया और चिडा चीखने चिल्लाने के सिवा और कुछ न कर सके। हाथी के जाने के बाद चिड़िया छाती पीट-पीटकर रोने लगी। तभी वहां कठफोठवी आई। वह चिडिया की अच्छी मित्र थी। कठफोडवी ने उनके रोने का कारण पूछा तो चिडिया ने अपनी सारी कहानी कह डाली। कठफोडवी बोली “इस प्रकार गम में डूबे रहने से कुछ नहीं होगा। उस हाथी को सबक सिखाने के लिए हमे कुछ करना होगा।”


चिडिया ने निराशा दिखाई “हमें छोटे-मोटे जीव उस बलशाली हाथी से कैसे टक्कर ले सकते हैं?”


कठफोडवी ने समझाया “एक और एक मिलकर ग्यारह बनते हैं। हम अपनी शक्तियां जोडेंगे।”


“कैसे?” चिडिया ने पूछा।


“मेरा एक मित्र वींआख नामक भंवरा हैं। हमें उससे सलाह लेना चाहिए।” चिडिया और कठफोडवी भंवरे से मिली। भंवरा गुनगुनाया “यह तो बहुत बुरा हुआ। मेरा एक मेंढक मित्र हैं आओ, उससे सहायता मांगे।”


अब तीनों उस सरोवर के किनारे पहुंचे, जहां वह मेढक रहता था। भंवरे ने सारी समस्या बताई। मेंढक भर्राये स्वर में बोला “आप लोग धैर्य से जरा यहीं मेरी प्रतीक्षा करें। मैं गहरे पाने में बैठकर सोचता हूं।”


ऐसा कहकर मेंढक जल में कूद गया। आधे घंटे बाद वह पानी से बाहर आया तो उसकी आंखे चमक रही थी। वह बोला “दोस्तो! उस हत्यारे हाथी को नष्ट करने की मेरे दिमाग में एक बडी अच्छी योजना आई हैं। उसमें सभी का योगदान होगा।”


मेंढक ने जैसे ही अपनी योजना बताई, सब खुशी से उछल पडे। योजना सचमुच ही अदभुत थी। मेंढक ने दोबारा बारी-बारी सबको अपना-अपना रोल समझाया।


कुछ ही दूर वह उन्मत्त हाथी तोडफोड मचाकर व पेट भरकर कोंपलों वाली शाखाएं खाकर मस्ती में खडा झूम रहा था। पहला काम भंवरे का था। वह हाथी के कानों के पास जाकर मधुर राग गुंजाने लगा। राग सुनकर हाथी मस्त होकर आंखें बंद करके झूमने लगा।


तभी कठफोडवी ने अपना काम कर दिखाया। वह आई और अपनी सुई जैसी नुकीली चोंच से उसने तेजी से हाथी की दोनों आंखें बींध डाली। हाथी की आंखे फूट गईं। वह तडपता हुआ अंधा होकर इधर-उधर भागने लगा।


जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, हाथी का क्रोध बढता जा रहा था। आंखों से नजर न आने के कारण ठोकरों और टक्करों से शरीर जख्मी होता जा रहा था। जख्म उसे और चिल्लाने पर मजबूर कर रहे थे।


चिडिया कॄतज्ञ स्वर में मेढक से बोली “बहिया, मैं आजीवन तुम्हारी आभारी रहूंगी। तुमने मेरी इतनी सहायता कर दी।”


मेढक ने कहा “आभार मानने की जरुरत नहीं। मित्र ही मित्रों के काम आते हैं।”


एक तो आंखों में जलन और ऊपर से चिल्लाते-चिंघाडते हाथी का गला सूख गया। उसे तेज प्यास लगने लगी। अब उसे एक ही चीज की तलाश थी, पानी।


मेढक ने अपने बहुत से बंधु-बांधवों को इकट्ठा किया और उन्हें ले जाकर दूर बहुत बडे गड्ढे के किनारे बैठकर टर्राने के लिए कहा। सारे मेढक टर्राने लगे।


मेढक की टर्राहट सुनकर हाथी के कान खडे हो गए। वह यह जानता ता कि मेढक जल स्त्रोत के निकट ही वास करते हैं। वह उसी दिशा में चल पडा।


टर्राहट और तेज होती जा रही थी। प्यासा हाथी और तेज भागने लगा।


जैसे ही हाथी गड्ढे के निकट पहुंचा, मेढकों ने पूरा जोर लगाकर टर्राना शुरु किया। हाथी आगे बढा और विशाल पत्थर की तरह गड्ढे में गिर पडा, जहां उसके प्राण पखेरु उडते देर न लगे इस प्रकार उस अहंकार में डूबे हाथी का अंत हुआ।


*शिक्षा:-*

1.एकता में बल है।

2.अहंकारी का देर या सबेर अंत होता ही है। 


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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