रविवार, 4 जुलाई 2021

प्रेरक प्रसंग


🟣  प्रेरक प्रसंग 🟣


         *!! जीवन की मुस्कान !!*

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एक फटी धोती और फटी कमीज पहने एक व्यक्ति अपनी 15-16 साल की बेटी के साथ एक बड़े होटल में पहुंचा। उन दोंनो को कुर्सी पर बैठा देख एक वेटर ने उनके सामने दो गिलास साफ ठंडे पानी के रख दिए और पूछा- आपके लिए क्या लाना है? 


उस व्यक्ति ने कहा- "मैंने मेरी बेटी को वादा किया था कि यदि तुम कक्षा दस में जिले में प्रथम आओगी तो मैं तुम्हें शहर के सबसे बड़े होटल में एक डोसा खिलाऊंगा। इसने वादा पूरा कर दिया। कृपया इसके लिए एक डोसा ले आओ।" वेटर ने पूछा- "आपके लिए क्या लाना है?" उसने कहा- "मेरे पास एक ही डोसे का पैसा है।" पूरी बात सुनकर वेटर मालिक के पास गया और पूरी कहानी बता कर कहा- "मैं इन दोनों को भर पेट नास्ता कराना चाहता हूँ। अभी मेरे पास पैसे नहीं है, इसलिए इनके बिल की रकम आप मेरी सैलेरी से काट लेना।" मालिक ने कहा- "आज हम होटल की तरफ से इस होनहार बेटी की सफलता की पार्टी देंगे।" 


होटल वालों ने एक टेबल को अच्छी तरह से सजाया और बहुत ही शानदार ढंग से सभी उपस्थित ग्राहकों के साथ उस गरीब बच्ची की सफलता का जश्न मनाया। मालिक ने उन्हें एक बड़े थैले में तीन डोसे और पूरे मोहल्ले में बांटने के लिए मिठाई उपहार स्वरूप पैक करके दे दी। इतना सम्मान पाकर आंखों में खुशी के आंसू लिए वे अपने घर चले गए।      


समय बीतता गया और एक दिन वही लड़की I.A.S. की परीक्षा पास कर उसी शहर में कलेक्टर बनकर आई।उसने सबसे पहले उसी होटल में एक सिपाही भेज कर कहलाया कि कलेक्टर साहिबा नास्ता करने आयेंगी। होटल मालिक ने तुरन्त एक टेबल को अच्छी तरह से सजा दिया।यह खबर सुनते ही पूरा होटल ग्राहकों से भर गया।


कलेक्टर रूपी वही लड़की होटल में मुस्कुराती हुई अपने माता-पिता के साथ पहुंची। सभी उसके सम्मान में खड़े हो गए। होटल के मालिक ने उन्हें गुलदस्ता भेंट किया और ऑर्डर के लिए निवेदन किया। उस लड़की ने खड़े होकर होटल मालिक और उस वेटर के आगे नतमस्तक होकर कहा- "शायद आप दोनों ने मुझे पहचाना नहीं। मैं वही लड़की हूँ जिसके पिता के पास दूसरा डोसा लेने के पैसे नहीं थे और आप दोनों ने मानवता की सच्ची मिसाल पेश करते हुए मेरे पास होने की खुशी में एक शानदार पार्टी दी थी और मेरे पूरे मोहल्ले के लिए भी मिठाई पैक करके दी थी। आज मैं आप दोनों की बदौलत ही कलेक्टर बनी हूँ। आप दोनों का एहसान मैं सदैव याद रखूंगी। आज यह पार्टी मेरी तरफ से है और उपस्थित सभी ग्राहकों एवं पूरे होटल स्टाफ का बिल मैं दूंगी। कल आप दोनों को "" श्रेष्ठ नागरिक "" का सम्मान एक नागरिक मंच पर किया जायेगा।  


*शिक्षा:-*

किसी भी गरीब की गरीबी का मजाक  बनाने के बजाय उसकी प्रतिभा का उचित सम्मान करें। संभव है आपके कारण कोई गुदड़ी का लाल अपनी मंजिल तक पहुंच जाए।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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शनिवार, 3 जुलाई 2021

प्रेरक प्रसंग



🟣 प्रेरक प्रसंग 🟣


                  *!! चरित्र !!*

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एक राजा को अपने लिए सेवक की आवश्यकता थी। उसके मंत्री ने दो दिनों के बाद एक योग्य व्यक्ति को राजा के सामने पेश किया।


राजा ने उसे अपना सेवक बना तो लिया पर बाद में मंत्री से कहा, ‘‘वैसे तो यह आदमी ठीक है पर इसका रंग-रूप अच्छा नहीं है।’’ मंत्री को यह बात अजीब लगी पर वह चुप रहा।


एक बार गर्मी के मौसम में राजा ने उस सेवक को पानी लाने के लिए कहा। सेवक सोने के पात्र में पानी लेकर आया।


राजा ने जब पानी पिया तो पानी पीने में थोड़ा गर्म लगा। राजा ने कुल्ला करके फेंक दिया। वह बोला, ‘‘इतना गर्म पानी, वह भी गर्मी के इस मौसम में, तुम्हें इतनी भी समझ नहीं।’’


मंत्री यह सब देख रहा था। मंत्री ने उस सेवक को मिट्टी के पात्र में पानी लाने को कहा। राजा ने यह पानी पीकर तृप्ति का अनुभव किया।


इस पर मंत्री ने कहा, ‘‘महाराज, बाहर को नहीं, भीतर को देखें। सोने का पात्र सुंदर, मूल्यवान और अच्छा है, लेकिन शीतलता प्रदान करने का गुण इसमें नहीं है।


मिट्टी का पात्र अत्यंत साधारण है लेकिन इसमें ठंडा बना देने की क्षमता है। कोरे रंग-रूप को न देखकर गुण को देखें।’’ उस दिन से राजा का नजरिया बदल गया।


सम्मान, प्रतिष्ठा, यश, श्रद्धा पाने का अधिकार चरित्र को मिलता है, चेहरे को नहीं। चाणक्य ने कहा है कि मनुष्य गुणों से उत्तम बनता है न कि ऊंचे आसन पर बैठने से या पदवी से। जैसे ऊंचे महल के शिखर पर बैठ कर भी कौवा, कौवा ही रहता है; गरुड़ नहीं बन जाता।


उसी तरह अमिट सौंदर्य निखरता है मन की पवित्रता से, क्योंकि सौंदर्य रंग-रूप, नाक-नक्श, चाल-ढाल, रहन-सहन, सोच-शैली की प्रस्तुति मात्र नहीं होता। यह व्यक्ति के मन, विचार, चिंतन और कर्म का आइना है।


कई लोग बाहर से सुंदर दिखते हैं मगर भीतर से बहुत कुरूप होते हैं। जबकि ऐसे भी लोग हैं जो बाहर से सुंदर नहीं होते मगर उनके भीतर भावों की पवित्रता इतनी ज्यादा होती है कि उनका व्यक्तित्व चुंबकीय बन जाता है। सुंदर होने और दिखने में बहुत बड़ा अंतर है।


*शिक्षा:-*

आपका चरित्र ही आपका सबसे बड़ा गुण है।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

प्रेरक प्रसंग

 ✍️   प्रेरक प्रसंग ✍️


          || समय का सदुपयोग ||

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किसी गांव में एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत ही भला था लेकिन उसमें एक दुर्गुण था वह हर काम को टाला करता था। वह मानता था कि जो कुछ होता है भाग्य से होता है। 


एक दिन एक साधु उसके पास आया। उस व्यक्ति ने साधु की बहुत सेवा की। उसकी सेवा से खुश होकर साधु ने पारस पत्थर देते हुए कहा- मैं तुम्हारी सेवा से बहुत प्रसन्न हूं। इसलिय मैं तुम्हे यह पारस पत्थर दे रहा हूं। सात दिन बाद मै इसे तुम्हारे पास से ले जाऊंगा। इस बीच तुम जितना चाहो, उतना सोना बना लेना। 


उस व्यक्ति को लोहा नही मिल रहा था। अपने घर में लोहा तलाश किया। थोड़ा सा लोहा मिला तो उसने उसी का सोना बनाकर बाजार में बेच दिया और कुछ सामान ले आया।


अगले दिन वह लोहा खरीदने के लिए बाजार गया, तो उस समय मंहगा मिल रहा था यह देख कर वह व्यक्ति घर लौट आया। 


तीन दिन बाद वह फिर बाजार गया तो उसे पता चला कि इस बार और भी महंगा हो गया है। इसलिए वह लोहा बिना खरीदे ही वापस लौट गया। 


उसने सोचा-एक दिन तो जरुर लोहा सस्ता होगा। जब सस्ता हो जाएगा तभी खरीदेंगे। यह सोचकर उसने लोहा खरीदा ही नहीं। 


आठवें दिन साधु पारस लेने के लिए उसके पास आ गए। व्यक्ति ने कहा- मेरा तो सारा समय ऐसे ही निकल गया। अभी तो मैं कुछ भी सोना नहीं बना पाया। आप कृपया इस पत्थर को कुछ दिन और मेरे पास रहने दीजिए। लेकिन साधु राजी नहीं हुए।


साधु ने कहा-तुम्हारे जैसा आदमी जीवन में कुछ नहीं कर सकता। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अब तक पता नहीं क्या-क्या कर चुका होता। जो आदमी समय का उपयोग करना नहीं जानता, वह हमेशा दु:खी रहता है। इतना कहते हुए साधु महाराज पत्थर लेकर चले गए। 


*शिक्षा:-*

जो व्यक्ति काम को टालता रहता है, समय का सदुपयोग नहीं करता और केवल भाग्य भरोसे रहता है वह हमेशा दुःखी रहता है।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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गुरुवार, 1 जुलाई 2021

प्रेरणा

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 *🎗️🌺🎍प्रेरणा🎍🌺🎗️* 


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*✨कठिन समय में बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजता है और कायर व्यक्ति बहाना।💫*


*🔹आज से हम🔹*

*🌴बहादुर बनें और हिम्मत से कठिन परिस्थितियों से निकलने का रास्ता खोजें...*


 ✍️INSPIRATION✍️


*✨In times of difficulty, a brave person tries to find a way out, whereas the coward looks for an excuse!🎗️*


*❇️TODAY ONWARDS LET'S❇️*

 *🌺Be brave and bravely find a way out of adversities.🌼*


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INSPIRATION

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       *🇮🇳.          .🇮🇳*


*🎗️🌺प्रेरणा🌺🎗️* 


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*🌼दूसरों के लिए ज़रा भी अच्छा करें तो वो अपने अंदर की शक्ति को जागृत करता है। दूसरों के बारे में ज़रा भी अच्छा सोचें तो वो अपने दिल में धीरे-धीरे शेर की ताकत भरता है।✨*


*🔹आज से हम🔹*

*🎍सब के प्रति अच्छा ही सोचें...*


*🛑 INSPIRATION🛑* 


*🌴Even the least work done for others awakens the power within; even thinking the least good of others gradually instills into the heart the strength of a lion!💫*


*❇️TODAY ONWARDS LET'S❇️*

 *🎍think good for all.*


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🟣 प्रेरक प्रसंग 🟣


*🟣 प्रेरक प्रसंग 🟣*


          *!! सबसे बड़ा गुण !!*

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एक राजा को अपने लिए सेवक की आवश्यकता थी। उसके मंत्री ने दो दिनों के बाद एक योग्य व्यक्ति को राजा के सामने पेश किया। राजा ने उसे अपना सेवक बना तो लिया पर बाद में मंत्री से कहा, ‘‘वैसे तो यह आदमी ठीक है पर इसका रंग-रूप अच्छा नहीं है।’’ मंत्री को यह बात अजीब लगी पर वह चुप रहा।


एक बार गर्मी के मौसम में राजा ने उस सेवक को पानी लाने के लिए कहा। सेवक सोने के पात्र में पानी लेकर आया। राजा ने जब पानी पिया तो पानी पीने में थोड़ा गर्म लगा। राजा ने कुल्ला करके फेंक दिया। वह बोला, ‘‘इतना गर्म पानी, वह भी गर्मी के इस मौसम में, तुम्हें इतनी भी समझ नहीं।’’ मंत्री यह सब देख रहा था। मंत्री ने उस सेवक को मिट्टी के पात्र में पानी लाने को कहा। राजा ने यह पानी पीकर तृप्ति का अनुभव किया।


इस पर मंत्री ने कहा, ‘‘महाराज, बाहर को नहीं, भीतर को देखें। सोने का पात्र सुंदर, मूल्यवान और अच्छा है, लेकिन शीतलता प्रदान करने का गुण इसमें नहीं है। मिट्टी का पात्र अत्यंत साधारण है लेकिन इसमें ठंडा बना देने की क्षमता है। कोरे रंग-रूप को न देखकर गुण को देखें।’’ उस दिन से राजा का नजरिया बदल गया।


सम्मान, प्रतिष्ठा, यश, श्रद्धा पाने का अधिकार चरित्र को मिलता है, चेहरे को नहीं। चाणक्य ने कहा है कि मनुष्य गुणों से उत्तम बनता है न कि ऊंचे आसन पर बैठने से या पदवी से। जैसे ऊंचे महल के शिखर पर बैठ कर भी कौवा, कौवा ही रहता है; गरुड़ नहीं बन जाता। उसी तरह अमिट सौंदर्य निखरता है मन की पवित्रता से, क्योंकि सौंदर्य रंग-रूप, नाक-नक्श, चाल-ढाल, रहन-सहन, सोच-शैली की प्रस्तुति मात्र नहीं होता। यह व्यक्ति के मन, विचार, चिंतन और कर्म का आइना है। कई लोग बाहर से सुंदर दिखते हैं मगर भीतर से बहुत कुरूप होते हैं। जबकि ऐसे भी लोग हैं जो बाहर से सुंदर नहीं होते मगर उनके भीतर भावों की पवित्रता इतनी ज्यादा होती है कि उनका व्यक्तित्व चुंबकीय बन जाता है। सुंदर होने और दिखने में बहुत बड़ा अंतर है।


*शिक्षा:-*

आपका चरित्र ही आपका सबसे बड़ा गुण है।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

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